न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों को लेकर 101 किसानों का जत्था रविवार को दिल्ली की ओर बढ़ने के लिए शंभू बॉर्डर से मार्च पर निकला था, लेकिन उन्हें हरियाणा पुलिस ने रास्ते में ही रोक लिया। पुलिस के साथ किसानों की झड़प हुई और इसके बाद प्रदर्शन स्थगित कर दिया गया। इस दौरान किसानों और पुलिस के बीच हिंसक टकराव हुआ, जिसमें चार किसान घायल हो गए।
किसान अपनी मांगों को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए दिल्ली जाने की कोशिश कर रहे थे। शंभू बॉर्डर पर 101 किसानों के समूह ने रविवार दोपहर 12 बजे के बाद अपना पैदल मार्च शुरू किया था। हालांकि, जैसे ही वे बॉर्डर पार करने की कोशिश कर रहे थे, पुलिस ने उन्हें रोक लिया और उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। इससे किसानों में गुस्सा और बढ़ गया और उनकी पुलिस के साथ झड़प हो गई। इस झड़प में चार किसान घायल हो गए हैं।
पुलिस का दावा है कि उनके पास किसान यूनियनों द्वारा उपलब्ध कराई गई 101 किसानों के नामों की सूची थी, लेकिन जब पुलिस ने उन किसानों से सत्यापन किया, तो उनमें से अधिकांश किसान उस सूची में शामिल नहीं थे। पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारी किसानों ने बिना अनुमति के मार्च करना शुरू कर दिया, और उन्हें रोकने के लिए उन्हें कानून के तहत कार्रवाई करनी पड़ी।
घायलों की स्थिति को देखते हुए किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने आज के प्रदर्शन को स्थगित करने का ऐलान किया। पंढेर ने कहा कि “हम प्रदर्शन के दौरान घायल हुए किसानों की स्थिति का मूल्यांकन करेंगे और इसके आधार पर यह तय करेंगे कि विरोध प्रदर्शन को कल जारी रखा जाए या नहीं।” उन्होंने आगे कहा कि प्रदर्शन का उद्देश्य एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी और अन्य किसानों के अधिकारों की सुरक्षा करना है, और इस संघर्ष को शांतिपूर्ण तरीके से जारी रखने का उनका मन है।
शंभू बॉर्डर पर स्थिति अब तनावपूर्ण हो गई है, और वहां भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। किसानों ने विरोध प्रदर्शन के दौरान शंभू बॉर्डर से दिल्ली जाने की कोशिश की थी, लेकिन पुलिस द्वारा रोके जाने पर उनकी योजना विफल हो गई। हालांकि, किसान नेताओं ने साफ किया कि उनका संघर्ष जारी रहेगा और वे अपनी मांगों को लेकर केंद्र सरकार से बात करने का दबाव बनाते रहेंगे।
किसान नेताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं और किसी भी तरह की हिंसा का हिस्सा नहीं बनना चाहते। पंढेर ने कहा कि यदि किसानों के घायलों की स्थिति में सुधार होता है, तो प्रदर्शन को कल फिर से जारी रखा जाएगा।
किसान संगठनों ने यह भी कहा है कि वे आगामी दिनों में और बड़े विरोध प्रदर्शन की योजना बना सकते हैं यदि केंद्र सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती है।