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भारत सरकार ने सोमवार को ज्ञानेश कुमार को देश का नया मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) नियुक्त किया है। वे भारत के 26वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त होंगे और उनका कार्यकाल 26 जनवरी, 2029 तक रहेगा। उनकी नियुक्ति विशेष रूप से इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वे चुनाव आयोग के नए कानून के तहत नियुक्त होने वाले पहले मुख्य निर्वाचन आयुक्त हैं।
कौन हैं ज्ञानेश कुमार?
ज्ञानेश कुमार एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी हैं, जिनका लंबा अनुभव सरकारी सेवाओं में रहा है। उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है और चुनाव प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए नई योजनाएं लागू कर सकते हैं। उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब भारत में आने वाले कुछ वर्षों में कई बड़े चुनाव होने वाले हैं।
किन चुनावों की जिम्मेदारी होगी?
अपने कार्यकाल के दौरान, ज्ञानेश कुमार को कई बड़े चुनावों की जिम्मेदारी संभालनी होगी। इनमें शामिल हैं:
बिहार विधानसभा चुनाव (2024 के अंत में)
2026 में केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव
2029 के आम चुनाव (लोकसभा चुनाव)
चूंकि उनका कार्यकाल 26 जनवरी, 2029 तक रहेगा, इसलिए इसके कुछ दिनों बाद ही निर्वाचन आयोग अगले लोकसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा कर सकता है।
क्यों खास है यह नियुक्ति?
1. नए कानून के तहत पहली नियुक्ति:
भारत में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े नए नियम लागू हुए हैं। ज्ञानेश कुमार पहले मुख्य निर्वाचन आयुक्त हैं, जिन्हें इन नए नियमों के तहत नियुक्त किया गया है।
2. आगामी महत्वपूर्ण चुनाव:
भारत में चुनाव आयोग की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है, खासकर जब लोकसभा चुनाव और बड़े राज्यों के विधानसभा चुनाव आने वाले हों।
3. चुनाव सुधारों की संभावना:
भारत की चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी और सुचारू बनाने के लिए नए बदलाव किए जा सकते हैं। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM), ऑनलाइन वोटिंग और अन्य तकनीकी सुधारों को और मजबूत किया जा सकता है।
क्या बदलाव आ सकते हैं?
ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में चुनाव आयोग में कुछ अहम सुधार देखने को मिल सकते हैं। इनमें शामिल हो सकते हैं:
डिजिटल चुनाव प्रक्रियाओं को बढ़ावा देना
चुनाव में पारदर्शिता और सुरक्षा को मजबूत बनाना
मतदाता सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया को आसान बनाना
ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति भारतीय चुनाव प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। उनकी अगुवाई में देश आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों का संचालन करेगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे अपने कार्यकाल के दौरान चुनाव सुधार और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए क्या कदम उठाते हैं।