
अगर आप अमेरिका में काम करने या बसने का सपना देखते हैं, तो आपने H-1B वीजा का नाम जरूर सुना होगा। यह वीजा भारतीय पेशेवरों, खासकर आईटी, हेल्थ और साइंस के क्षेत्र में काम करने वालों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। लेकिन हाल ही में अमेरिका की अप्रवासन नीतियों में बदलाव के कारण हजारों भारतीय परिवारों के सामने गंभीर समस्याएं खड़ी हो गई हैं।
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H-1B वीजा: क्या है और क्यों है खास?
H-1B एक गैर-आप्रवासी वीजा है, जो विदेशी नागरिकों को अमेरिका में काम करने की अनुमति देता है। इसकी खासियत यह है कि वीजा धारकों के परिवार के सदस्यों को भी अमेरिका में उनके साथ रहने का मौका मिलता है। खासकर टेक इंडस्ट्री में भारतीय पेशेवरों की बड़ी संख्या इस वीजा के जरिए अमेरिका में काम कर रही है। लेकिन हाल ही में नियमों में बदलाव के कारण इन परिवारों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
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ट्रंप प्रशासन के सख्त वीजा नियम
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका की वीजा नीतियों में कड़े बदलाव किए गए। खासतौर पर H-1B वीजा धारकों के बच्चों को मिलने वाली सुरक्षा समाप्त कर दी गई। पहले, H-1B वीजा धारकों के बच्चों को आश्रित (dependent) माना जाता था और अमेरिका में जन्म लेने पर उन्हें नागरिकता मिल जाती थी। लेकिन नए नियमों के तहत यह अधिकार छीन लिया गया है, जिससे हजारों भारतीय परिवारों का भविष्य अधर में लटक गया है।
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1.34 लाख भारतीय परिवारों पर संकट
2023 के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 1.34 लाख भारतीय बच्चों के माता-पिता को ग्रीन कार्ड मिलने की उम्मीद थी। लेकिन अमेरिकी अप्रवासन प्रणाली की धीमी प्रक्रिया और नए नियमों के कारण इन बच्चों का वीजा स्टेटस अब खत्म होने की कगार पर है।
21 साल की उम्र के बाद संकट – ये बच्चे जब तक 21 साल के होते हैं, तब तक उनके माता-पिता का ग्रीन कार्ड आवेदन प्रोसेस में ही रहता है। ऐसे में वे अपने माता-पिता के आश्रित वीजा से बाहर हो जाते हैं।
स्व-निर्वासन (Self-Deportation) का डर – चूंकि ये बच्चे अमेरिका में ही बड़े हुए हैं, लेकिन उनके पास वैध स्टेटस नहीं बचता, इसलिए उन्हें अमेरिका छोड़ना पड़ सकता है।
ग्रीन कार्ड की लंबी वेटिंग लिस्ट – भारतीय अप्रवासियों के लिए ग्रीन कार्ड पाने की प्रक्रिया 12 साल से 100 साल तक लंबी हो सकती है, जिससे उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
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DACA और टेक्सास अदालत का फैसला
टेक्सास की एक अदालत ने हाल ही में डिफर्ड एक्शन फॉर चाइल्डहुड अराइवल्स (DACA) प्रोग्राम के तहत नए आवेदकों को वर्क परमिट देने पर रोक लगा दी है। यह प्रोग्राम उन बच्चों को अस्थायी सुरक्षा देता था, जो अमेरिका में दस्तावेजों के बिना आए थे। अब इस फैसले के बाद वे 21 साल की उम्र के बाद अवैध प्रवासी (illegal immigrant) बन सकते हैं।
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क्या होगा इन भारतीय परिवारों का भविष्य?
नए नियमों के कारण भारतीय अप्रवासियों के लिए अमेरिका में स्थायी रूप से बसना और कठिन हो गया है। अगर इन मुद्दों का समाधान नहीं हुआ, तो हजारों भारतीय परिवारों को या तो अमेरिका छोड़ना पड़ सकता है या कानूनी लड़ाई लड़नी होगी।
अब सवाल यह है कि बाइडेन प्रशासन इस मुद्दे को कैसे हल करेगा? क्या भारतीय अप्रवासियों को कोई राहत मिलेगी? यह आने वाले समय में देखने वाली बात होगी।