भारतीय शेयर बाजार में शुक्रवार को सुबह सकारात्मक शुरुआत के बाद अचानक बड़ी गिरावट देखने को मिली। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 780 अंकों की गिरावट के साथ 80,000 के नीचे आ गया, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी भी 225 अंकों की गिरावट के साथ 24,037 के स्तर पर पहुंच गया। बाजार में इस भारी गिरावट के चलते बीएसई के 30 में से 29 शेयर लाल निशान में कारोबार कर रहे थे।
सुबह की सकारात्मक शुरुआत, फिर अचानक गिरावट
सेंसेक्स ने शुक्रवार को पिछले बंद स्तर 80,234.08 के मुकाबले मामूली बढ़त के साथ 80,281.64 के स्तर पर कारोबार की शुरुआत की थी। शुरुआती कारोबार में सूचकांक धीमी गति से आगे बढ़ रहा था, लेकिन कुछ ही समय बाद इसमें भारी गिरावट दर्ज की गई। खबर लिखे जाने तक सेंसेक्स 780 अंकों की गिरावट के साथ 79,420.47 पर कारोबार कर रहा था।
इसी प्रकार निफ्टी ने भी 24,274.90 के पिछले बंद स्तर के मुकाबले मामूली बढ़त के साथ शुरुआत की थी। लेकिन जल्द ही यह भी दबाव में आ गया और 225 अंकों की गिरावट के साथ 24,037 के स्तर पर पहुंच गया।
सबसे ज्यादा गिरावट वाले शेयर
इस भारी गिरावट के दौरान कई बड़े और मिडकैप शेयरों में सबसे अधिक नुकसान देखने को मिला।
लार्जकैप शेयरों में गिरावट
- महिंद्रा एंड महिंद्रा (M&M): 2.81% की गिरावट के साथ यह शेयर 2,920 रुपये पर आ गया।
- इंफोसिस (INFY): 2.76% की गिरावट के साथ 1,871 रुपये पर कारोबार कर रहा था।
- टेक महिंद्रा: 2.58% गिरावट के साथ यह 1,710 रुपये पर पहुंच गया।
- एचसीएल टेक: 2.05% की गिरावट के साथ 1,851 रुपये पर कारोबार कर रहा था।
मिडकैप शेयरों की स्थिति
- एलटीटीएस (LTTS): 3.44% की गिरावट के साथ कारोबार कर रहा था।
- ओएफएसएस (OFSS): 2.78% की गिरावट दर्ज की गई।
- अजंता फार्मा (Ajanta Pharma): 2.31% की गिरावट के साथ कमजोर हुआ।
- आरपीईएल (RPEL): 4.25% की भारी गिरावट दर्ज की गई।
- ट्राइटरबाइन: 4.05% गिरावट के साथ कारोबार कर रहा था।
गिरावट के कारण
शेयर बाजार में इस भारी गिरावट के पीछे कुछ प्रमुख कारण माने जा रहे हैं:
- वैश्विक संकेतों का असर: अमेरिका और यूरोप के बाजारों में कमजोरी के चलते भारतीय बाजारों में भी दबाव देखने को मिला।
- विदेशी निवेशकों की बिकवाली: विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) द्वारा लगातार बिकवाली से बाजार में नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
- कमजोर सेक्टोरल प्रदर्शन: आईटी, फार्मा और ऑटो सेक्टर के शेयरों में गिरावट ने बाजार पर नकारात्मक असर डाला।
निवेशकों में घबराहट
इस अचानक गिरावट ने निवेशकों में घबराहट पैदा कर दी है। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट अस्थायी हो सकती है, लेकिन निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है। लंबी अवधि के निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे अपने निवेश को होल्ड करें और घबराहट में कोई फैसला न लें।
आगे की रणनीति
विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार आने वाले दिनों में वैश्विक आर्थिक संकेतकों और घरेलू आर्थिक नीतियों पर निर्भर करेगा। अगर विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रहती है और वैश्विक बाजारों में कमजोरी बनी रहती है, तो भारतीय शेयर बाजार में और गिरावट देखी जा सकती है।