शेयर बाजार में सोमवार को बड़ी गिरावट दर्ज की गई। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स 450.94 अंक टूटकर 78,248.13 पर बंद हुआ, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 50 इंडेक्स 168.5 अंक फिसलकर 23,644.90 पर बंद हुआ। वैश्विक बाजारों से मिले कमजोर संकेत, विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली, और ब्लू-चिप शेयरों में दबाव के कारण बाजार में यह गिरावट देखने को मिली।
ब्लू-चिप शेयरों में गिरावट
सेंसेक्स की 30 प्रमुख कंपनियों में से अधिकांश ने नकारात्मक प्रदर्शन किया। टाटा मोटर्स, टाइटन, टाटा स्टील, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एनटीपीसी, आईसीआईसीआई बैंक, मारुति, एचडीएफसी बैंक और इंफोसिस जैसी कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई। हालांकि, जोमैटो, टेक महिंद्रा, एचसीएल टेक और इंडसइंड बैंक के शेयरों में मामूली बढ़त देखी गई।
मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स का प्रदर्शन
बीएसई का मिडकैप सूचकांक 0.13% की बढ़त के साथ बंद हुआ, जबकि स्मॉलकैप सूचकांक में 0.47% की गिरावट आई। इसका मतलब है कि बड़े निवेशकों की तुलना में छोटे और मझोले निवेशकों ने थोड़ी बेहतर स्थिति में कारोबार किया।
एफआईआई की बिकवाली जारी
शेयर बाजार पर विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली का दबाव लगातार बना हुआ है। एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार को एफआईआई ने 1,323.29 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। यह सिलसिला सोमवार को भी जारी रहा, जिससे बाजार की धारणा कमजोर रही।
वैश्विक बाजारों का असर
एशियाई बाजारों की बात करें तो सियोल, टोक्यो और हांगकांग के बाजारों में गिरावट देखी गई, जबकि शंघाई के बाजारों में मामूली तेजी रही। यूरोपीय बाजार भी नकारात्मक दायरे में बंद हुए। इसके अलावा, शुक्रवार को अमेरिकी बाजार में भी गिरावट देखी गई। वैश्विक स्तर पर बाजार धारणा कमजोर है, जिसे मजबूत अमेरिकी डॉलर और बढ़ती बॉन्ड यील्ड से और नुकसान हो रहा है।
कच्चे तेल में गिरावट
वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड की कीमतें भी सोमवार को 0.05% गिरकर 74.13 डॉलर प्रति बैरल पर आ गईं। तेल की कीमतों में गिरावट से भारतीय बाजारों पर मिलाजुला असर पड़ सकता है।
विशेषज्ञों की राय
जानकारों का कहना है कि अमेरिकी नीतियों में अस्थिरता और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण निवेशकों की जोखिम उठाने की क्षमता घट रही है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियों और मुद्रास्फीति के खिलाफ उनकी रणनीति भी बाजार के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।
डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों का प्रभाव
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ और व्यापार नीतियों को लेकर भी निवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई है। ट्रंप के 20 जनवरी को कार्यभार संभालने के बाद उनके फैसलों का असर न केवल अमेरिकी डॉलर और बॉन्ड यील्ड पर पड़ेगा, बल्कि भारत में विदेशी पूंजी प्रवाह और रुपये की चाल पर भी इसका व्यापक प्रभाव पड़ सकता है।
साल के अंत में कमजोर धारणा
साल के आखिरी हफ्तों में दुनियाभर के शेयर बाजारों में कमजोर धारणा देखी जा रही है। मजबूत डॉलर और बढ़ते बॉन्ड यील्ड के चलते निवेशक सुरक्षित विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं। भारतीय बाजार पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, जिससे निवेशकों की चिंताएं बढ़ गई हैं।
वैश्विक और घरेलू कारकों के बीच भारतीय शेयर बाजार में निकट भविष्य में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है। निवेशकों को सतर्कता बरतने और दीर्घकालिक रणनीति अपनाने की सलाह दी जा रही है।