झारखंड विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक को बड़ी जीत मिली थी। चुनाव परिणामों के पांच दिन बाद, राज्य को नई सरकार मिल गई है। राज्यपाल संतोष गंगवार ने हेमंत सोरेन को झारखंड का मुख्यमंत्री नियुक्त किया। हेमंत सोरेन ने रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित एक भव्य शपथ ग्रहण समारोह में झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली।
यह हेमंत सोरेन का चौथा कार्यकाल है, और वे झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में लगातार कार्यरत हैं। मुख्यमंत्री के साथ-साथ मंत्रीमंडल में शामिल होने वाले विधायकों को शपथ लेने की चर्चा थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रांची के मोरहाबादी मैदान में हेमंत सोरेन के साथ किसी भी मंत्री ने शपथ नहीं ली। इसके बावजूद, हेमंत सोरेन का शपथ ग्रहण समारोह एक ऐतिहासिक क्षण था, जिसमें उनके पिता और तीन बार के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन भी उपस्थित रहे।
हेमंत सरकार के गठन की प्रक्रिया के दौरान इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और शक्ति प्रदर्शन किया। इस अवसर पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी मौजूद रहे। ये सभी नेता हेमंत सोरेन की शपथ ग्रहण में शामिल होने पहुंचे थे, जो गठबंधन के मजबूत राजनीतिक समर्थन का प्रतीक था।
झारखंड विधानसभा चुनाव के परिणाम के अनुसार, जेएमएम ने कांग्रेस, आरजेडी और लेफ्ट के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा। इस गठबंधन को कुल 56 सीटों पर जीत मिली थी। झारखंड विधानसभा में कुल 81 सीटें हैं, और बहुमत के लिए 41 सीटों का आंकड़ा जरूरी होता है। इस लिहाज से, इंडिया ब्लॉक का गठबंधन बहुमत से 15 सीटें अधिक लेकर आया है।
जेएमएम को अकेले 34 सीटें मिली हैं, जबकि कांग्रेस को 16, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को चार और लेफ्ट को दो सीटें प्राप्त हुईं। चुनाव परिणामों के बाद, हेमंत सोरेन ने राज्यपाल से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा पेश किया। मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई संदेह नहीं था, लेकिन मंत्रिमंडल गठन को लेकर गठबंधन में कुछ असहमति रही। यही कारण था कि हेमंत सोरेन ने केवल मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और उनके साथ किसी मंत्री को शपथ नहीं दिलाई गई।
कांग्रेस पार्टी द्वारा मंत्रिमंडल में चार मंत्री पद की मांग की जा रही है, और इसके लिए वे ‘चार पर एक’ के फॉर्मूले की मांग कर रहे हैं, जिसमें कांग्रेस के चार विधायक मंत्री बनेंगे। यह वही फॉर्मूला है जो हेमंत सोरेन की पिछली सरकार में लागू किया गया था, जब कांग्रेस के 16 विधायकों को चार मंत्री पद दिए गए थे।
हेमंत सोरेन ने चुनावी नतीजों के तुरंत बाद राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा किया था, लेकिन मंत्रिमंडल की तस्वीर पर घटक दलों के बीच सहमति नहीं बन पाई है। यह संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में मंत्रिमंडल का विस्तार होगा, जब गठबंधन के घटक दलों के बीच मंत्रिमंडल गठन को लेकर सहमति बन जाएगी।
हेमंत सोरेन की चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद, यह साफ हो गया है कि राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा और उनके सहयोगी दलों का गठबंधन मजबूत स्थिति में है। अब यह देखना होगा कि मंत्रिमंडल गठन में किस तरह की राजनीति होती है और गठबंधन के घटक दलों के बीच समझौता किस तरह होता है।