
उत्तराखंड की ऊँची पहाड़ियों में स्थित पवित्र सिख तीर्थ स्थल हेमकुंट साहिब के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। साल 2025 की हेमकुंट साहिब यात्रा की शुरुआत बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ हुई। पहले ही दिन लगभग 4500 से अधिक श्रद्धालुओं का जत्था गुरुद्वारा हेमकुंट साहिब के दर्शन के लिए पहुंचा।
यात्रा की शुरुआत और पहला अरदास
शुक्रवार को यात्रा की औपचारिक शुरुआत गुरुद्वारा गोबिंद घाट से हुई, जहां पर पहले अखंड पाठ का भोग डाला गया। इसके बाद पांच प्यारों की अगुवाई में श्रद्धालुओं का जत्था रवाना हुआ। जत्थे ने रात को गुरुद्वारा गोबिंद धाम (घांघरिया) में विश्राम किया, जो समुद्र तल से करीब 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। शनिवार सुबह श्रद्धालुओं ने हेमकुंट साहिब की ओर आगे की चढ़ाई शुरू की।
हेमकुंट साहिब करीब 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और वहां पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को कठिन पहाड़ी रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। यात्रा का रास्ता बर्फ से ढका रहता है, लेकिन गुरुद्वारा ट्रस्ट और प्रशासन की ओर से बर्फ हटाकर रास्ता साफ किया गया है ताकि संगत को कोई परेशानी न हो।
फूलों की सजावट और भक्तों का स्वागत
गुरुद्वारा श्री हेमकुंट साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट ने बताया कि गोबिंद घाट, गोबिंद धाम और हेमकुंट साहिब — तीनों ही स्थानों को सुंदर फूलों से सजाया गया है। जैसे ही संगत हेमकुंट साहिब पहुंची, वहां सुबह पहली अरदास की गई और गुरु ग्रंथ साहिब का पहला प्रकाश हुआ।
श्रद्धालु सुबह-सुबह गुरुद्वारे के दर्शन करके भाव-विभोर हो गए। चारों ओर ‘बोले सो निहाल, सत श्री अकाल’ के जयकारे गूंजते रहे। यह नजारा बेहद भक्तिमय और मन को छू जाने वाला था।
सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा के लिए प्रबंध
ट्रस्ट के अध्यक्ष नरिंदरजीत सिंह बिंद्रा ने बताया कि यात्रा की शुरुआत गुरुद्वारा ऋषिकेश से हुई थी, और जत्था गोबिंद घाट होते हुए हेमकुंट साहिब पहुंचा। उन्होंने कहा कि सरकार के सहयोग से भक्तों के लिए हर जरूरी सुविधा का प्रबंध किया गया है, जैसे भोजन, ठहरने की जगह, प्राथमिक चिकित्सा, गर्म कपड़े और सुरक्षाकर्मी।
मैनेजर भाई सेवा सिंह ने जानकारी दी कि पहले दिन 4500 से ज्यादा श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। वहीं 400 से ज्यादा श्रद्धालु अभी गोबिंद घाट पहुंचे हैं, जो आज गोबिंद धाम के लिए रवाना होंगे और फिर हेमकुंट साहिब की ओर बढ़ेंगे।
हेमकुंट साहिब यात्रा 2025 का आगाज़ भक्ति, उत्साह और अनुशासन के साथ हुआ है। ट्रस्ट और प्रशासन की मेहनत से रास्ता साफ किया गया है और हर स्तर पर सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं। श्रद्धालु इस कठिन यात्रा को पूरा करके गुरु के दरबार में पहुंचकर आत्मिक शांति और संतोष महसूस कर रहे हैं।
यह यात्रा हर साल लाखों श्रद्धालुओं को अध्यात्म की ऊँचाइयों तक ले जाती है — इस बार भी ऐसा ही अनुभव देखने को मिल रहा है।