
पंजाब सरकार ने इस खरीफ सीज़न की शुरुआत एक बड़ी घोषणा के साथ की है। मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई में सरकार ने धान की खेती में ‘सीधी बिजाई’ यानी डायरेक्ट सीडिंग ऑफ राइस (DSR) तकनीक को प्रोत्साहित करने का फैसला लिया है।
5 लाख एकड़ में DSR का लक्ष्य
मान सरकार ने ऐलान किया है कि इस बार पंजाब में 5 लाख एकड़ ज़मीन पर DSR तकनीक से धान की बुआई की जाएगी। यह तकनीक न केवल पर्यावरण के लिए बेहतर है, बल्कि किसानों के लिए भी अधिक लाभकारी सिद्ध हो रही है। सरकार की योजना है कि जल संकट से जूझ रहे राज्य में इस तकनीक को बड़े स्तर पर अपनाया जाए, ताकि पानी की बचत की जा सके और खेती की लागत में भी कटौती हो।
किसानों को ₹1,500 प्रति एकड़ की आर्थिक सहायता
सरकार की योजना के तहत DSR तकनीक को अपनाने वाले किसानों को ₹1,500 प्रति एकड़ की सीधी आर्थिक सहायता दी जाएगी। यह सहायता सीधे किसानों के खाते में भेजी जाएगी, जिससे उन्हें शुरुआती लागत में राहत मिलेगी और तकनीक को अपनाना आसान होगा।
बासमती उत्पादक किसानों को भी लाभ
एक और अहम बात यह है कि बासमती चावल उगाने वाले किसान भी इस योजना के अंतर्गत आ रहे हैं। उन्हें भी DSR तकनीक अपनाने पर ₹1,500 प्रति एकड़ की सहायता दी जाएगी। इससे बासमती उत्पादकों को भी पानी और मजदूरी की लागत में बचत होगी।
2024 में शानदार प्रदर्शन, 2023 से 47% की बढ़ोतरी
पिछले वर्ष 2024 में पंजाब के किसानों ने DSR तकनीक में उल्लेखनीय रुचि दिखाई। कुल 2.53 लाख एकड़ में इस तकनीक से धान की बुआई की गई, जो कि 2023 की तुलना में 47% अधिक है। सरकार की ओर से बताया गया कि इस दौरान 21,338 किसानों को ₹29.02 करोड़ की वित्तीय सहायता भी दी गई।
DSR तकनीक के फायदे – पर्यावरण और जेब दोनों के लिए फायदेमंद
DSR तकनीक न केवल किसानों की मेहनत को कम करती है, बल्कि पानी और पैसे दोनों की बचत भी सुनिश्चित करती है। इसके मुख्य फायदे हैं:
● 15-20% तक पानी की बचत – पारंपरिक पद्धति की तुलना में DSR में पानी की खपत काफी कम होती है, जो जल संकट झेल रहे पंजाब के लिए राहत की बात है।
● ₹3,500 प्रति एकड़ तक मजदूरी में कटौती – सीधी बिजाई में नर्सरी तैयार करने, रोपाई करने और बार-बार खेत में पानी भरने की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे मजदूरी पर आने वाला खर्च घट जाता है।
सरकार और किसान – मिलकर बदलेंगे खेती का भविष्य
पंजाब सरकार के इस कदम को किसानों ने सकारात्मक रूप में लिया है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में DSR तकनीक खेती की मुख्यधारा में शामिल हो जाएगी। सरकार की सक्रिय भूमिका, वित्तीय सहायता और किसानों की जागरूकता मिलकर पंजाब में खेती के नए युग की शुरुआत कर सकते हैं।
यह पहल केवल एक तकनीकी बदलाव नहीं है, बल्कि यह पानी बचाने, खेती को सस्टेनेबल बनाने और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।