अक्टूबर 2024 में खुदरा महंगाई दर (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) के 6 फीसदी के पार 6.21 फीसदी पहुंचने के बाद भारतीय शेयर बाजार में गिरावट और सस्ती ईएमआई (EMI) की उम्मीदों पर बड़ा झटका लगा है। यह दर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के निर्धारित टोलरेंस बैंड के ऊपरी सीमा से काफी ऊपर है, जिससे दिसंबर 2024 में होने वाली आरबीआई मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक (RBI MPC Meeting) में रेपो रेट में कटौती की संभावना अब समाप्त हो गई है।
फरवरी 2025 में भी नहीं घटेंगी ब्याज दरें
एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, महंगाई दर में इस वृद्धि के चलते फरवरी 2025 में भी आरबीआई के पॉलिसी रेट्स में कटौती की संभावना बहुत कम है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि महंगाई दर के 4 फीसदी के लक्ष्य पर स्थिर होने के बाद ही ब्याज दरों में कमी पर विचार किया जाएगा। इस स्थिति में ब्याज दरें अब लंबी अवधि तक उच्च स्तर पर बनी रह सकती हैं।
वैश्विक संकट और आयातित महंगाई का खतरा
वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव और रुपये की डॉलर के मुकाबले गिरावट के कारण आयातित महंगाई का जोखिम बढ़ रहा है। नाइट फ्रैंक इंडिया के नेशनल डायरेक्टर विवेक राठी ने कहा कि मौजूदा वैश्विक अस्थिरता और घरेलू बाजार में बढ़ती कीमतों से महंगाई पर दबाव बना रहेगा। खासकर, आयातित महंगाई पर इसका प्रभाव बढ़ेगा। घरेलू खाद्य महंगाई भी आरबीआई के लिए एक गंभीर चिंता का कारण बन गई है, क्योंकि अक्टूबर में यह दर 10.87 फीसदी तक पहुंच गई, जिससे कुल खुदरा महंगाई 14 महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
ब्याज दर कटौती में देरी की संभावना
केयरएज रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि महंगाई का मौजूदा ट्रेंड दर्शाता है कि वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही में महंगाई आरबीआई के अनुमान से अधिक रह सकती है। ऐसे में ब्याज दर कटौती के चक्र के शुरू होने में देरी हो सकती है। रजनी सिन्हा के अनुसार, दिसंबर की पॉलिसी मीटिंग में आरबीआई मौजूदा पॉलिसी रेट्स को बरकरार रखेगा, ताकि महंगाई दर को नियंत्रित किया जा सके। चौथी तिमाही में यदि खाद्य महंगाई में सुधार आता है तो फरवरी 2025 में रेपो रेट में एक चौथाई फीसदी कटौती की संभावना बन सकती है, लेकिन अभी इसकी कोई निश्चितता नहीं है।
महंगी ईएमआई से राहत फिलहाल असंभव
मई 2022 में महंगाई दर 7.80 फीसदी तक पहुंचने पर आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ाने की शुरुआत की थी। तब से छह मॉनिटरी पॉलिसी मीटिंग में रेपो रेट को 4 फीसदी से बढ़ाकर फरवरी 2023 तक 6.50 फीसदी कर दिया गया। अगस्त 2024 में महंगाई दर घटकर 3.65 फीसदी पर आ जाने के बाद उम्मीद थी कि आरबीआई ब्याज दरों में कटौती करेगा, जिससे आम आदमी को सस्ती ईएमआई का लाभ मिल सकता है। लेकिन दो महीनों में ही महंगाई दर में तेजी से उछाल आया, जिससे महंगी ईएमआई से राहत की संभावनाएं अब धुंधली नजर आ रही हैं।
महंगाई पर काबू पाना प्राथमिकता, ईएमआई में कटौती नहीं
आरबीआई के टोलरेंस बैंड से अधिक महंगाई दर होने के कारण केंद्रीय बैंक अब जल्दबाजी में पॉलिसी रेट्स में बदलाव नहीं करेगा। यह सुनिश्चित करना आरबीआई की प्राथमिकता है कि महंगाई दर 4 फीसदी के लक्ष्य पर वापस आ सके। लेकिन बढ़ती खाद्य महंगाई और वैश्विक संकट के कारण आरबीआई को पॉलिसी रेट्स को बरकरार रखने का कदम उठाना पड़ रहा है। जब तक महंगाई दर में स्थिरता नहीं आती, सस्ती ईएमआई का इंतजार करना व्यर्थ हो सकता है।
अक्टूबर 2024 में खुदरा महंगाई दर के 6 फीसदी से ऊपर जाने और वैश्विक आर्थिक तनाव के कारण भारतीय बाजार में ब्याज दर कटौती की संभावना बहुत कम है। आरबीआई की अगली मॉनिटरी पॉलिसी मीटिंग में पॉलिसी रेट्स में बदलाव की संभावना धूमिल है, जिससे सस्ती ईएमआई का इंतजार कर रहे लोगों को फिलहाल कोई राहत नहीं मिलती दिखाई दे रही।