आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 को लेकर लगातार बैठकें हो रही हैं, लेकिन अब तक इस टूर्नामेंट के आयोजन को लेकर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका है। 29 नवंबर को हुई एक अहम बैठक में सभी की उम्मीदें थी कि आईसीसी इस पर कोई बड़ा फैसला लेगा, लेकिन यह निर्णय एक दिन के लिए टाल दिया गया। अब 30 नवंबर को टूर्नामेंट के आयोजन को लेकर अंतिम निर्णय की घोषणा की जाएगी।
इस बैठक में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के प्रतिनिधि भी शामिल थे। आईसीसी टूर्नामेंट को हाइब्रिड मॉडल के तहत कराने पर विचार कर रहा है, लेकिन इस पर अब तक सहमति नहीं बन पाई है।
आईसीसी और पीसीबी के बीच गतिरोध
चैंपियंस ट्रॉफी 2025 की मेजबानी का अधिकार पाकिस्तान को मिला है। हालांकि, बीसीसीआई पहले ही साफ कर चुका है कि भारतीय टीम को पाकिस्तान नहीं भेजा जाएगा। इसका मुख्य कारण वहां की सुरक्षा स्थिति है, जिसे लेकर बीसीसीआई ने गंभीर चिंताएं जताई हैं। बीसीसीआई ने हाइब्रिड मॉडल के तहत टूर्नामेंट आयोजित करने का सुझाव दिया है, जिसमें भारतीय टीम के मैच किसी तटस्थ स्थान पर कराए जाएंगे, जबकि बाकी मुकाबले पाकिस्तान में होंगे।
लेकिन पीसीबी इस मॉडल को मानने के लिए तैयार नहीं है। पीसीबी का कहना है कि चैंपियंस ट्रॉफी पूरी तरह पाकिस्तान में ही आयोजित की जानी चाहिए, क्योंकि यह उनके मेजबानी के अधिकार का सम्मान है।
हाइब्रिड मॉडल पर क्यों जोर दे रहा है बीसीसीआई?
बीसीसीआई के प्रस्तावित हाइब्रिड मॉडल के तहत भारतीय टीम अपने सभी मैच किसी अन्य देश में खेलेगी। इस मॉडल के जरिए बीसीसीआई सुरक्षा चिंताओं को दूर करना चाहता है और यह सुनिश्चित करना चाहता है कि भारतीय खिलाड़ियों की सुरक्षा के साथ कोई समझौता न हो। हालांकि, पीसीबी इसे अपने अधिकारों का उल्लंघन मानता है और इस पर अपना विरोध जारी रखे हुए है।
आईसीसी के पास क्या हैं विकल्प?
आईसीसी के सामने इस स्थिति में दो प्रमुख विकल्प हैं:
1. हाइब्रिड मॉडल: टूर्नामेंट को हाइब्रिड मॉडल में आयोजित किया जाए। भारतीय टीम के मुकाबले किसी न्यूट्रल वेन्यू (जैसे दुबई या श्रीलंका) पर कराए जाएं, जबकि बाकी मैच पाकिस्तान में खेले जाएं।
2. मेजबानी स्थान बदलना: यदि पीसीबी हाइब्रिड मॉडल को नहीं मानता, तो आईसीसी टूर्नामेंट की मेजबानी के अधिकार पाकिस्तान के पास रखते हुए भी इसे किसी और देश में आयोजित कर सकता है।
भारत के बिना टूर्नामेंट पर आईसीसी की चिंताएं
भारत के बिना किसी भी टूर्नामेंट का आयोजन आईसीसी के लिए मुश्किल होगा। भारतीय टीम के बिना न सिर्फ दर्शकों की संख्या में कमी आएगी, बल्कि ब्रॉडकास्टिंग और स्पॉन्सरशिप से जुड़ी कमाई पर भी बड़ा असर पड़ेगा। यही कारण है कि आईसीसी बीसीसीआई और पीसीबी के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है।
फैंस की उम्मीदें टिकीं 30 नवंबर पर
30 नवंबर को होने वाली बैठक में यह तय किया जाएगा कि चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का आयोजन किस प्रकार होगा। आईसीसी, बीसीसीआई और पीसीबी के बीच चल रही तनातनी पर सभी क्रिकेट प्रशंसकों की नजरें हैं। फैंस को उम्मीद है कि आईसीसी इस मामले में ऐसा फैसला लेगा, जिससे न सिर्फ टूर्नामेंट का आयोजन सफलतापूर्वक हो, बल्कि दोनों देशों के क्रिकेट बोर्ड्स के बीच तनाव भी कम हो सके।
क्या होगा टूर्नामेंट का भविष्य?
आईसीसी के लिए यह फैसला लेना आसान नहीं होगा। जहां एक तरफ पाकिस्तान अपने मेजबानी अधिकार को लेकर अडिग है, वहीं दूसरी तरफ भारत अपनी सुरक्षा चिंताओं को लेकर पीछे हटने को तैयार नहीं है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आईसीसी क्या समाधान निकालता है।
30 नवंबर को होने वाली घोषणा से यह स्पष्ट हो जाएगा कि चैंपियंस ट्रॉफी 2025 किस प्रारूप और स्थान पर खेली जाएगी। क्रिकेट प्रशंसक इस निर्णय का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।