भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के “बंटेंगे तो कटेंगे” नारे को लेकर एनडीए (नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस) में फूट नजर आ रही है। इस नारे का विरोध एनडीए के कई सहयोगी दल कर रहे हैं, और वे इसे सांप्रदायिक और विभाजनकारी मानते हुए इसे राजनीति में जगह नहीं देने की बात कर रहे हैं। इस विरोध के बाद बीजेपी के लिए अपने सहयोगी दलों को मनाना चुनौती बन सकता है।
अजित पवार का तीखा विरोध
महाराष्ट्र में एनडीए के सहयोगी दलों में से एक अजित पवार की एनसीपी ने सबसे पहले इस नारे का विरोध किया। 7 नवंबर को मुंबई में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान अजित पवार ने कहा, “ये छत्रपति शिवाजी, राजर्षी शाहू महाराज और महात्मा फूले का महाराष्ट्र है। यहां के लोग इस तरह की टिप्पणी पसंद नहीं करते।” उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में हमेशा से सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की कोशिश की गई है, और यहां के लोग ऐसी नफरत फैलाने वाली बातों को स्वीकार नहीं करेंगे। अजित पवार का यह बयान बीजेपी के लिए खासा चौंकाने वाला था क्योंकि एनसीपी राज्य में बीजेपी का अहम सहयोगी दल है।
अजित पवार ने आगे कहा कि बीजेपी के इस नारे से महाराष्ट्र के इतिहास और सांस्कृतिक विरासत को नुकसान पहुंचेगा। उन्होंने महाराष्ट्र को अन्य राज्यों से तुलना करने का विरोध किया और कहा कि राज्य में हमेशा से समरसता और एकता की भावना रही है, जिसे इस तरह के नारे से चोट पहुंचेगी।
एकनाथ शिंदे की सेना का समर्थन
हालांकि, महायुति के अन्य सहयोगी दल, जैसे एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने बीजेपी के नारे का समर्थन किया। शिंदे गुट के नेता संजय निरूपम ने कहा कि अजित पवार को यह समझने में वक्त लगेगा, लेकिन अंततः यह नारा सफल रहेगा। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने जो कहा, वह सही है और इसे देश के लोगों के बीच लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है। निरूपम ने कहा कि शिंदे गुट का समर्थन बीजेपी के साथ है और इस नारे को आगे बढ़ाने की जरूरत है।
जेडीयू का विरोध
बिहार में जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) ने भी इस नारे का विरोध किया है। पार्टी के एमएलसी गुलाम गौस ने 8 नवंबर को पटना में कहा, “बंटेंगे तो कटेंगे जैसे नारे की देश को कोई जरूरत नहीं है।” उन्होंने कहा कि यह नारा उन लोगों के लिए है जो सांप्रदायिक आधार पर वोट बटोरना चाहते हैं। गुलाम गौस ने यह सवाल भी उठाया कि जब देश की राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री हिंदू हैं, तो फिर हिंदू समुदाय असुरक्षित कैसे हो सकता है?
जेडीयू का यह रुख भी बीजेपी के लिए एक झटका था, क्योंकि बिहार में बीजेपी और जेडीयू गठबंधन का हिस्सा हैं। गुलाम गौस ने स्पष्ट किया कि जेडीयू का मानना है कि इस प्रकार के विभाजनकारी नारे देश की एकता और अखंडता के लिए हानिकारक हैं।
चिराग पासवान ने दिया बीजेपी का साथ
इस बीच, बिहार में चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) ने बीजेपी का समर्थन किया है। पार्टी ने कहा कि यह नारा सही है और इसको आगे बढ़ाना चाहिए। चिराग पासवान ने बीजेपी के नारे का समर्थन करते हुए कहा कि यह नारा हिन्दू समाज की सुरक्षा और एकता की बात करता है, और इसलिए इसे राजनीति में जगह मिलनी चाहिए।
जयंत चौधरी का भी विरोध
राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के प्रमुख जयंत चौधरी ने भी “बंटेंगे तो कटेंगे” नारे से दूरी बनाई है। हाल ही में हुए उपचुनाव प्रचार के दौरान एक पत्रकार ने उनसे सवाल पूछा कि योगी आदित्यनाथ के द्वारा दिया गया यह बयान उनके पार्टी के लिए क्या मायने रखता है। इस पर जयंत चौधरी ने संक्षिप्त जवाब देते हुए कहा, “ये उनकी बात है,” और फिर सवाल का जवाब दिए बिना वहां से चले गए। इस प्रतिक्रिया से यह साफ हो गया कि आरएलडी इस नारे के साथ नहीं है और वे इसे स्वीकार नहीं करते।
सांप्रदायिक सद्भाव की बात करते हुए नारा विवादित
बीजेपी का “बंटेंगे तो कटेंगे” नारा भाजपा द्वारा सामाजिक और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की रणनीति के तहत प्रचारित किया जा रहा है। हालांकि, एनडीए के कई सहयोगी दल इस नारे को सांप्रदायिक और विभाजनकारी मानते हुए इसके खिलाफ हैं। इन दलों का मानना है कि इस प्रकार के नारे देश में सामाजिक सद्भाव को नुकसान पहुंचा सकते हैं और इससे समाज में अविश्वास और तनाव पैदा हो सकता है।
आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि बीजेपी अपने सहयोगी दलों को कैसे मनाती है और क्या इस विवाद का पार्टी के चुनावी अभियान पर कोई असर पड़ता है।