उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा महाराष्ट्र में दिया गया नारा ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। जातीय जनगणना और आरक्षण को लेकर छिड़ी बहस के बीच इस नारे को लेकर राज्य में कई विपक्षी दलों ने भाजपा पर तीखे हमले किए हैं। कांग्रेस से लेकर एनसीपी और शिवसेना (यूबीटी) तक सभी विपक्षी दलों ने भाजपा पर समाज में विभाजन करने का आरोप लगाया है।
पीएम मोदी और योगी आदित्यनाथ के नारे
महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान जाति जनगणना और 50% से अधिक आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस के चुनावी वादों के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ लगातार इस मामले में सियासी बयान दे रहे हैं। जहां पीएम मोदी ने ‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे’ का नारा दिया, वहीं योगी आदित्यनाथ ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक रहेंगे तो नेक रहेंगे’ जैसे नारों के जरिए समाज में एकजुटता की बात कही।
अजित पवार की प्रतिक्रिया
एनडीए के प्रमुख नेता और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने योगी आदित्यनाथ के नारे पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र शिवाजी, आंबेडकर, शाहूजी महाराज की धरती है, जहां ऐसी विभाजनकारी राजनीति के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि महायुति में होने के बावजूद हमारी पार्टियों की विचारधाराएं अलग हैं, और हम कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर काम करते हैं। पवार ने स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र में बाहरी नेता आकर यहां के मूल्यों के विपरीत बातें कह जाते हैं, जो यहां की जनता को स्वीकार नहीं हैं।
उद्धव ठाकरे का BJP पर निशाना
शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी योगी आदित्यनाथ के इस नारे को लेकर भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भाजपा महाराष्ट्र में बाला साहेब ठाकरे की तस्वीरों का सहारा ले रही है, जबकि उनके पोस्टरों पर नरेंद्र मोदी और अमित शाह की तस्वीरें नहीं दिखतीं। ठाकरे ने भाजपा नेताओं की तस्वीर को हार की गारंटी बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी का विभाजनकारी राजनीति करना महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मूल्यों के खिलाफ है।
कांग्रेस का पलटवार
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बाला साहेब थोराट ने बीजेपी के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का उद्देश्य हमेशा धर्म और जाति के बीच मेलजोल बढ़ाना रहा है, जबकि भाजपा समाज में विभाजन करने की राजनीति करती है। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह समाज को बांटने और वोट जिहाद जैसे नारों के जरिए लोगों में गलतफहमियां फैलाने का प्रयास करती है।
संजय राउत की टिप्पणी
शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने भी इस नारे पर पीएम मोदी को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि भाजपा की यह नीति महाराष्ट्र में कारगर नहीं होगी, क्योंकि यहां के लोग हमेशा से एकजुटता में विश्वास करते हैं। राउत ने कहा कि जब भी पीएम मोदी महाराष्ट्र आते हैं, तो यहां असुरक्षा का माहौल बनाया जाता है और समाज में डर फैलाने की कोशिश की जाती है। राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में लोग सुरक्षित हैं, लेकिन बीजेपी लोगों को बांटने और असुरक्षा पैदा करने की कोशिश करती है।
एनसीपी का भाजपा पर हमला
एनसीपी (शरद पवार गुट) के नेता रोहित पवार ने भाजपा के इस नारे को लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास महाराष्ट्र के लोगों के लिए कोई सकारात्मक एजेंडा नहीं है और वह सिर्फ विभाजनकारी राजनीति के जरिए ही सत्ता में आना चाहती है। पवार ने कहा कि महाराष्ट्र की जनता ऐसे नारों का समर्थन नहीं करती, क्योंकि यहां के लोग धार्मिकता और आध्यात्मिकता में विश्वास रखते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा की यह रणनीति महाराष्ट्र में असफल साबित होगी।
भाजपा पर विपक्ष का एकजुट हमला
महाराष्ट्र में जातीय जनगणना और आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा के नारों को लेकर विपक्ष ने एकजुट होकर भाजपा पर तीखा हमला बोला है। एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं ने भाजपा पर समाज में फूट डालने और असुरक्षा पैदा करने का आरोप लगाया है।
महाराष्ट्र की राजनीतिक फिजा में इस नारे ने विपक्षी दलों को एकजुट कर दिया है, जहां सभी दलों ने भाजपा को उसकी रणनीति के लिए घेरा है। चुनावी माहौल में इस नारे पर बढ़ती प्रतिक्रिया से स्पष्ट है कि यह मामला आगामी चुनावों में एक प्रमुख मुद्दा बन सकता है।