पंजाब कैबिनेट की अहम बैठक सोमवार को, लुधियाना उपचुनाव से पहले बड़े फैसलों की उम्मीद

पंजाब सरकार की एक महत्वपूर्ण कैबिनेट बैठक सोमवार को दोपहर 12 बजे मुख्यमंत्री भगवंत मान के चंडीगढ़ स्थित सरकारी आवास पर होने जा रही है। हालांकि इस बैठक का आधिकारिक एजेंडा अभी तक जारी नहीं किया गया है, लेकिन इसे लुधियाना पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव से पहले बेहद अहम माना जा रहा है।
गौरतलब है कि इससे पहले कैबिनेट की पिछली बैठक 23 मई को हुई थी। उस बैठक में ‘पंजाब मैनेजमेंट एंड ट्रांसफर ऑफ म्यूनिसिपल प्रॉपर्टीज रूल्स 2021’ में एक अहम बदलाव को मंजूरी दी गई थी। इस बदलाव के तहत, प्रॉपर्टी अलॉटियों को बिक्री मूल्य जमा करवाने की समयसीमा को घटाकर 6 महीने कर दिया गया। सरकार का उद्देश्य इस फैसले के जरिए शहरी स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति को सुधारना, राजस्व संग्रह को तेज करना और कानूनी विवादों को कम करके आम लोगों को राहत देना था।
अब, जब लुधियाना पश्चिम में 19 जून 2025 को उपचुनाव होने जा रहे हैं, तो सोमवार की कैबिनेट मीटिंग पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। चुनाव के नतीजे 23 जून को घोषित होंगे। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस बैठक में व्यापारियों या आम जनता से जुड़े किसी बड़े फैसले की घोषणा हो सकती है, ताकि आगामी उपचुनावों में मतदाताओं को लुभाया जा सके।
कौन-कौन आज़मा रहा किस्मत?
1. जीवन गुप्ता (भाजपा):
भारतीय जनता पार्टी ने जीवन गुप्ता को मैदान में उतारा है, जो पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि वे भाजपा के लिए कितना जन समर्थन जुटा पाते हैं।
2. भारत भूषण आशु (कांग्रेस):
भारत भूषण कांग्रेस के दिग्गज नेता हैं। वे इस सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं, लेकिन 2022 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अब वे फिर से वापसी की कोशिश कर रहे हैं।
3. संजीव अरोड़ा (आप):
आम आदमी पार्टी ने संजीव अरोड़ा को उम्मीदवार बनाया है, जो राज्यसभा सांसद भी हैं। पार्टी उन पर भरोसा जता रही है कि वे विधानसभा चुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
4. परुपकार सिंह घुम्मन (अकाली दल):
शिरोमणि अकाली दल की तरफ से परुपकार सिंह घुम्मन चुनावी मैदान में हैं। वह क्षेत्र में अच्छी पकड़ रखते हैं और चुनाव को रोमांचक बना सकते हैं।
सोमवार को होने वाली कैबिनेट बैठक न केवल सरकारी नीतियों को लेकर अहम है, बल्कि उपचुनावों की रणनीति के लिहाज़ से भी खास है। देखना होगा कि क्या सरकार इसमें कोई बड़ा ऐलान करती है जो चुनावी समीकरणों को बदल सके।