
पंजाब के गुरदासपुर ज़िले के अबुल खैर गांव से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक स्वयंभू पादरी जशन गिल पर एक 22 वर्षीय युवती के साथ कई बार दुष्कर्म करने और फिर जबरन गर्भपात करवाने का गंभीर आरोप लगा है।
पीड़िता के पिता ने मीडिया से बात करते हुए आरोप लगाया कि उनकी बेटी की मौत गैरकानूनी और लापरवाही से किए गए गर्भपात के बाद हो गई। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी उस समय BCA की छात्रा थी और परिवार के साथ पास के एक चर्च जाया करती थी, जहां जशन गिल ने उसका भरोसा जीतकर उसे फंसा लिया।
दुष्कर्म और धोखे से गर्भपात
पीड़िता के पिता ने बताया कि पादरी जशन गिल ने उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर शारीरिक शोषण किया। जब युवती गर्भवती हो गई, तो उसने खोखर गांव की एक नर्स से गैरकानूनी तरीके से उसका गर्भपात करवाया। यह सारा काम एक गैरकानूनी क्लिनिक में किया गया था, जहां पूरी तरह से लापरवाही बरती गई।
गर्भपात के बाद लड़की को पेट में तेज़ दर्द और इन्फेक्शन हो गया। परिवार ने जब उसे अस्पताल में भर्ती करवाया और अल्ट्रासाउंड कराया तो सच्चाई सामने आई। हालत बिगड़ती देख लड़की को अमृतसर के एक बड़े अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
पुलिस पर गंभीर आरोप
पीड़िता के पिता ने यह भी आरोप लगाया कि जशन गिल पुलिस अधिकारियों को रिश्वत देकर खुद को बचा रहा है। उन्होंने बताया कि यह पूरी घटना 2023 में हुई थी, लेकिन पुलिस ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।
उन्होंने कहा, “मेरी बेटी को इंसाफ़ नहीं मिला। आरोपी आज भी खुलेआम घूम रहा है। मुझे लगातार धमकियां मिल रही थीं, इसलिए मुझे अपना गांव भी छोड़ना पड़ा। अब मैंने पंजाब हाईकोर्ट का रुख किया है और CBI जांच की मांग की है।”
पुलिस की सफाई
इस मामले पर DSP अमोलक सिंह ने जानकारी दी कि पुलिस ने समय रहते मुकदमा दर्ज कर लिया था। आरोपी को पकड़ने के लिए कई जगह छापेमारी भी की गई, लेकिन वह हाथ नहीं आया। इसके चलते 21 सितंबर 2024 को अदालत ने उसे ‘भगोड़ा’ घोषित कर दिया। पुलिस अभी भी उसकी तलाश में जुटी है।
यह मामला समाज में अंधविश्वास, धार्मिक नकाब और कानून व्यवस्था से जुड़े गंभीर सवाल खड़े करता है। एक पिता अपनी बेटी के लिए इंसाफ़ मांग रहा है, जबकि आरोपी अब तक कानून की पकड़ से बाहर है।
आशा की जा रही है कि इस मामले में जल्द कोई ठोस कार्रवाई होगी और पीड़िता के परिवार को न्याय मिलेगा। साथ ही, ऐसे मामलों में पुलिस और प्रशासन को और सख्त और संवेदनशील होने की ज़रूरत है, ताकि भविष्य में कोई और मासूम ऐसी दर्दनाक घटना का शिकार न हो।