
हरियाणा के पंचकूला से एक बेहद दर्दनाक खबर सामने आई है। यहां एक ही परिवार के 7 सदस्यों ने कथित रूप से जहर खाकर आत्महत्या कर ली। यह घटना पंचकूला के सेक्टर 27 की है, जहां एक गाड़ी में सभी के शव मिले। इस घटना से पूरे इलाके में शोक की लहर है, वहीं पुलिस और जांच एजेंसियां कारणों की तह तक जाने में जुटी हैं।
क्या है पूरा मामला?
मृतक परिवार उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का रहने वाला था। परिवार पंचकूला में आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम – बागेश्वर धाम की हनुमंत कथा में शामिल होने के लिए आया हुआ था। कथा समाप्त होने के बाद जब परिवार की गाड़ी वापस जाने के लिए तैयार हुई, तभी ये दिल दहला देने वाली घटना सामने आई।
सूत्रों के मुताबिक, सातों लोगों ने एक साथ जहर खाकर आत्महत्या कर ली। सभी के शव एक कार में बंद हालत में सेक्टर 27 की सड़क पर खड़ी मिली। कार के अंदर का नज़ारा देखकर राहगीरों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी।
कौन-कौन थे मृतकों में शामिल?
मृतकों में शामिल हैं:
42 वर्षीय प्रवीण मित्तल (देहरादून निवासी)
उनके माता-पिता
पत्नी
और उनके तीन बच्चे – दो बेटियां और एक बेटा
सभी ने साथ मिलकर आत्महत्या की। पंचकूला की डीसीपी हिमाद्री कौशिक ने बताया कि उन्हें पहले सूचना मिली कि छह लोगों को ओजस अस्पताल लाया गया है, लेकिन सभी की मौत हो चुकी थी। एक अन्य व्यक्ति को सेक्टर 6 के सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे भी मृत घोषित कर दिया गया।
क्या आत्महत्या की वजह सामने आई है?
पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें आर्थिक तंगी और कर्ज का जिक्र किया गया है। माना जा रहा है कि परिवार लंबे समय से आर्थिक परेशानियों से जूझ रहा था, जिससे मानसिक दबाव बहुत बढ़ गया था। इसी वजह से उन्होंने यह दुखद कदम उठाया।
जांच में क्या हुआ अब तक?
सभी सातों शवों को पंचकूला के निजी अस्पतालों के शवगृह में रखा गया है।
फॉरेंसिक टीम ने मौके पर पहुंचकर नमूने लिए हैं और जांच शुरू कर दी गई है।
डीसीपी लॉ एंड ऑर्डर अमित दहिया ने भी मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया।
लोगों में दुख और हैरानी
इस घटना के बाद क्षेत्र में सन्नाटा और सदमा है। जो परिवार धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेने आया था, उसके सभी सदस्य अचानक इस तरह दुनिया को अलविदा कह देंगे – यह किसी ने नहीं सोचा था। पड़ोसी और जानने वाले लोग इस खबर से स्तब्ध हैं।
यह घटना न केवल एक परिवार की निजी त्रासदी है, बल्कि समाज के सामने यह सवाल भी उठाती है कि आर्थिक दबाव और मानसिक तनाव लोगों को कहां तक ले जा सकता है। ज़रूरत है कि समाज और शासन ऐसे परिवारों तक मदद पहुंचाए, ताकि कोई और परिवार इस तरह का कदम न उठाए।