हर साल 14 नवंबर को मनाया जाने वाला वर्ल्ड डायबिटीज डे, मधुमेह (डायबिटीज) के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसके खतरों से बचाव के उपायों के बारे में लोगों को जानकारी देने का दिन है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों को समर्पित है जो इस जानलेवा बीमारी से जूझ रहे हैं और इसके उपचार के लिए दुनियाभर में प्रयासरत हैं। इस दिन की शुरुआत 1991 में अंतर्राष्ट्रीय डायबिटीज फेडरेशन (IDF) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा की गई थी और यह प्रोफेसर पॉल डब्ल्यू. ग्रांट के जन्मदिन से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने इंसुलिन की खोज की, जो आज भी डायबिटीज के इलाज में एक अहम भूमिका निभाता है।
वर्ल्ड डायबिटीज डे का उद्देश्य सिर्फ मरीजों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका मकसद सभी को डायबिटीज से बचाव के उपायों से अवगत कराना भी है। सही खान-पान, नियमित शारीरिक गतिविधि, मानसिक तनाव को कम करना और पर्याप्त नींद लेना, ये कुछ ऐसे उपाय हैं जो इस बीमारी से बचाव में मदद कर सकते हैं।
भारत में डायबिटीज का बढ़ता संकट
वर्ल्ड डायबिटीज डे के अवसर पर लैंसेट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में डायबिटीज के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर में डायबिटीज से पीड़ित वयस्कों (82.8 करोड़) में से एक चौथाई यानी करीब 21.2 करोड़ लोग भारत में रहते हैं। इस रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि 2022 तक डायबिटीज के सबसे अधिक मरीज चीन, अमेरिका, पाकिस्तान, इंडोनेशिया और ब्राजील में थे।
रिसर्चर्स ने 1000 से अधिक रिसर्चों से 18 साल से ऊपर के करीब 14 करोड़ से अधिक लोगों के डेटा का इस्तेमाल किया है। इस रिसर्च में डायबिटीज का पता लगाने के लिए दो प्रमुख मापदंड—फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज (FPG) और तीन महीने की औसत ब्लड शुगर काउंट (HbA1c)—को शामिल किया गया है।
भारत में डायबिटीज के बढ़ते मामलों का कारण
मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन की चेयरमैन और लैंसेट रिसर्च के लेखक डॉ. आरएम अंजना का कहना है कि पिछले साल के पेपर में HbA1c और फास्टिंग ग्लूकोज का उपयोग डायबिटीज के मरीजों के आंकड़ों को बढ़ाने का कारण बन सकता है। उनका कहना है कि एनीमिया और आयरन की कमी से HbA1c का स्तर बढ़ जाता है, जिससे प्री-डायबिटिक और डायबिटीज के मरीजों की गलत पहचान हो सकती है।
2022 में भारतीय काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के अध्ययन के मुताबिक, भारत में डायबिटीज का प्रसार महिलाओं में 14.4 प्रतिशत (6.9 करोड़) और पुरुषों में 12.2 प्रतिशत (6.2 करोड़) था। कुल मिलाकर, देश में करीब 13.1 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं।
डायबिटीज से बचाव के उपाय
डायबिटीज के इलाज के लिए सही खानपान और शारीरिक गतिविधि अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। डॉ. अंजना का कहना है कि भारत को कम आय वाले क्षेत्रों में हेल्दी खानपान को बढ़ावा देने, पार्क और फिटनेस सेंटर्स में फ्री एंट्री जैसी योजनाओं की आवश्यकता है। मोटापा और खराब खानपान डायबिटीज के प्रमुख कारण हैं और इन पर नियंत्रण पाकर इस बीमारी से बचाव संभव है।
इलाज की कमी
हालांकि, डायबिटीज का इलाज संभव है, लेकिन दुनिया भर में कई लोगों को इसका इलाज नहीं मिल पा रहा है। 2022 में 30 वर्ष से ऊपर की उम्र के पांच में से तीन लोगों को डायबिटीज की दवा नहीं मिली, जो 1990 के मुकाबले तीन गुना अधिक है। भारत में भी करीब 6.4 करोड़ पुरुष और 6.9 करोड़ महिलाएं डायबिटीज से पीड़ित हैं, जिन्हें इलाज नहीं मिला।
इंपीरियल कॉलेज लंदन के सीनियर राइटर और प्रोफेसर माजिद इज्जती का कहना है कि यह स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि कम आय वाले देशों में डायबिटीज से पीड़ित लोग युवा होते हैं और इलाज के अभाव में उन्हें गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिनमें अंग फेल होना, हार्ट डिसीज, किडनी डैमेज और आंखों की रोशनी जाने जैसी स्थितियां शामिल हैं।