आज 26 जनवरी है, एक ऐसा दिन जो हर भारतीय के लिए गर्व और उत्सव का प्रतीक है। इसी दिन 1950 में भारत ने अपना संविधान लागू किया था, जो स्वतंत्रता और लोकतंत्र के मूल्यों का आधार बना। इस साल भारत ने 76वां गणतंत्र दिवस मनाया, और इस खास मौके पर कर्तव्य पथ (पूर्व में राजपथ) पर देश की सैन्य शक्ति और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का भव्य प्रदर्शन किया गया।
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति बने मुख्य अतिथि
इस बार गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो थे। इंडोनेशिया का 352 सदस्यीय मार्चिंग और बैंड दस्ता परेड में हिस्सा लेने के लिए भारत आया। सुबियांतो, गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने वाले इंडोनेशिया के चौथे राष्ट्रपति बने। इससे पहले 1950 में, भारत के पहले गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति सुकर्णो थे।
स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास
इस साल की झांकियों का विषय ‘स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास’ था। इसमें विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 16 झांकियां और केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों और संगठनों की 15 झांकियां प्रदर्शित की गईं। इन झांकियों ने भारत की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक उपलब्धियों को दर्शाया। उत्तर प्रदेश की झांकी में अयोध्या का भव्य राम मंदिर और काशी विश्वनाथ धाम को दिखाया गया। वहीं, महाराष्ट्र की झांकी में छत्रपति शिवाजी महाराज के स्वराज्य की झलक देखने को मिली।
केंद्र सरकार की झांकी में ‘मिशन लाइफ’ पर विशेष ध्यान दिया गया, जो पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई पहल है। झांकियों ने न केवल भारत की समृद्ध संस्कृति को प्रस्तुत किया, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में देश की प्रगति को भी उजागर किया।
सैन्य ताकत का प्रदर्शन
कर्तव्य पथ पर भारत ने अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन किया। परेड में ब्रह्मोस मिसाइल, पिनाक रॉकेट सिस्टम और आकाश मिसाइल सिस्टम को प्रदर्शित किया गया। इसके अलावा, पहली बार परेड में सेना की युद्ध निगरानी प्रणाली ‘संजय’ और डीआरडीओ की सतह से सतह पर मार करने वाली सामरिक मिसाइल ‘प्रलय’ को शामिल किया गया।
भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने भी अपने हवाई करतब दिखाकर उपस्थित लोगों को रोमांचित कर दिया। तेजस, राफेल और सुखोई जैसे आधुनिक विमानों ने आसमान में भारत की ताकत का प्रदर्शन किया। भारतीय नौसेना ने अपने स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत और कलवरी क्लास पनडुब्बी की झलक प्रस्तुत की।
केंद्रीय बलों और महिलाओं की भूमिका
इस बार परेड में महिला सैनिकों की भूमिका भी खास रही। पहली बार, महिला सैनिकों की टुकड़ी ने परेड का नेतृत्व किया। इसके अलावा, सीआरपीएफ और बीएसएफ जैसे अर्धसैनिक बलों ने भी अपने कौशल का प्रदर्शन किया। इसने भारत की बढ़ती लैंगिक समानता और महिलाओं की शक्ति को दर्शाया।
संविधान के 75 साल का जश्न
इस वर्ष का गणतंत्र दिवस समारोह संविधान लागू होने के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में और भी खास हो गया। यह एक अवसर था जब पूरा देश अपने लोकतंत्र और संविधान के मूल्यों को मनाने के लिए एकजुट हुआ। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कर्तव्य पथ पर तिरंगा फहराया और राष्ट्रगान की गूंज से समारोह की शुरुआत हुई।
गणतंत्र दिवस समारोह: देश की एकता का प्रतीक
गणतंत्र दिवस समारोह ने भारत की एकता और विविधता का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया। परेड में न केवल भारत की सैन्य ताकत और वैज्ञानिक प्रगति को दिखाया गया, बल्कि इसकी समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को भी प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया।
यह दिन हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है, जब पूरा देश एकजुट होकर अपने संविधान, लोकतंत्र और स्वतंत्रता के मूल्यों का जश्न मनाता है। 76वें गणतंत्र दिवस के इस भव्य आयोजन ने न केवल भारत की उपलब्धियों को प्रदर्शित किया, बल्कि देश के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में आगे बढ़ने का संदेश भी दिया।