
भारत ने अपनी पहली स्वदेशी MRI मशीन विकसित कर ली है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), दिल्ली ने बताया कि इस MRI स्कैनर का क्लीनिकल ट्रायल इस साल अक्टूबर तक शुरू किया जाएगा। इस पहल का मुख्य उद्देश्य महंगी विदेशी MRI मशीनों पर निर्भरता कम करना और स्कैनिंग प्रक्रिया को अधिक किफायती और सुलभ बनाना है।
कैसे बनी यह MRI मशीन?
इस MRI मशीन का निर्माण इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के अधीन समीर (सोसाइटी फॉर एप्लाइड माइक्रोवेव इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग एंड रिसर्च – SAMEER) के सहयोग से किया गया है। समीर के डायरेक्टर जनरल पीएच राव के अनुसार, मानव परीक्षणों और क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है।
भारत में मेडिकल उपकरणों की स्थिति
वर्तमान में, भारत में 80-85% मेडिकल उपकरण विदेशी कंपनियों से आयात किए जाते हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 68,885 करोड़ रुपये के मेडिकल उपकरणों का आयात किया गया, जो पिछले साल की तुलना में 13% अधिक है।
MRI जैसी मेडिकल इमेजिंग तकनीकों पर विदेशी कंपनियों की निर्भरता के कारण इलाज की लागत बढ़ जाती है। भारत में स्वदेशी MRI मशीनों का निर्माण, आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत मेडिकल टेक्नोलॉजी क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। इससे सस्ती और आसानी से उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में मदद मिलेगी।
MRI मशीन निर्माण में अन्य भारतीय कंपनियां भी आगे
भारत में कुछ कंपनियां पहले से ही MRI मशीन बनाने पर काम कर रही हैं।
-
फिशर मेडिकल वेंचर्स (चेन्नई)
-
वॉक्सलग्रिड्स इनोवेशन (बेंगलुरु)
ये कंपनियां भी MRI तकनीक के स्वदेशीकरण की दिशा में कार्य कर रही हैं। इनकी सफलता से भविष्य में भारत में सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली MRI मशीनों का निर्माण संभव होगा।
MRI मशीन के स्वदेशी निर्माण के फायदे
-
महंगे आयात की निर्भरता कम होगी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।
-
MRI स्कैनिंग की लागत कम होगी, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग के मरीजों को लाभ मिलेगा।
-
भारतीय मेडिकल टेक्नोलॉजी क्षेत्र को मजबूती मिलेगी, जिससे नए इनोवेशन और नौकरियां पैदा होंगी।
-
भारत चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा और भविष्य में दूसरे देशों को निर्यात भी कर सकेगा।
भारत में पहली स्वदेशी MRI मशीन का विकास एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इससे स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा और MRI स्कैन की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सकेगा। सरकार और भारतीय कंपनियों की यह पहल आने वाले समय में चिकित्सा जगत में क्रांति ला सकती है।