अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चीन के खिलाफ व्यापारिक टैरिफ बढ़ाने की नीतियों ने भारत के लिए अपनी निर्यात वृद्धि का एक महत्वपूर्ण अवसर उत्पन्न किया है। ट्रंप की यह नीतियां, जो चीन से आयातित उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने की योजना को लेकर आई हैं, भारत के लिए एक नया मौका लेकर आई हैं, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल, ऑटो पार्ट्स और रसायन जैसे क्षेत्रों में। भारत सरकार इन क्षेत्रों में निर्यात बढ़ाने के लिए योजना बना रही है, ताकि अमेरिका के बाजार में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धा को बढ़ाया जा सके।
अमेरिका द्वारा चीन से आयातित उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाए जाने से भारतीय उत्पादों की बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ने की संभावना है। ट्रंप ने चीन से आयातित उत्पादों पर 10-20% सामान्य टैरिफ बढ़ाने और कुछ उत्पादों पर 60% तक टैरिफ लगाने का प्रस्ताव रखा था। इससे अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों को ज्यादा मौका मिल सकता है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों जैसे स्टील में भारत को विशेष लाभ नहीं होगा क्योंकि अमेरिका की सुरक्षा नीति के कारण इसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा।
निर्यात के मौजूदा आंकड़े
अप्रैल से सितंबर 2024 तक अमेरिका को भारत के प्रमुख निर्यात निम्नलिखित रहे हैं:
- इलेक्ट्रॉनिक्स: 5.7 बिलियन डॉलर (17.6% वृद्धि)
- फार्मास्यूटिकल्स: 4.5 बिलियन डॉलर (17.4% वृद्धि)
- जैविक रसायन: 1.2 बिलियन डॉलर (7.7% वृद्धि)
- ऑटो पार्ट्स: 0.16 बिलियन डॉलर
- अजैविक रसायन: 6.0 मिलियन डॉलर
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्रों में पिछले कुछ महीनों में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। इसके बावजूद, अधिकारियों का कहना है कि भारत को इन क्षेत्रों में अपनी प्रतिस्पर्धा को सुधारने के लिए तेज कदम उठाने होंगे। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रहमण्यम का कहना है, “ट्रंप की व्यापारिक नीतियां अमेरिका में बड़े व्यापारिक बदलाव की अगुवाई करेंगी, और यदि भारत सही तैयारी करता है, तो यह हमारे लिए आर्थिक उछाल का कारण बन सकता है।”
सरकार की तैयारियाँ
भारत सरकार ने इन क्षेत्रों में निर्यात बढ़ाने के लिए उत्पादन और प्रतिस्पर्धा में सुधार के लिए योजनाएं तैयार करना शुरू कर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि ट्रंप की नीतियों के तहत भारत को अपने उत्पादन की क्षमता बढ़ाने और अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों को और प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए एक रणनीति तैयार करनी होगी। इसके लिए उद्योगों को प्रोत्साहित करने की दिशा में भी कई कदम उठाए जाएंगे।
चीन का जवाब
भारत सरकार चीन की प्रतिक्रिया पर भी नज़र रखे हुए है, विशेष रूप से चीन द्वारा अपनी मुद्रा युआन के मूल्य को घटाने के संभावित कदमों को देखते हुए। इस कदम से चीन के उत्पादों को अमेरिका में प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिल सकती है, और भारत को इस चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, ट्रंप ने भारत को “हाई टैरिफ राष्ट्र” कहा है, लेकिन उनका ध्यान उन देशों पर है जिनसे अमेरिका का व्यापार घाटा अधिक है। भारत उन देशों में शामिल नहीं है, जिससे भारत के लिए राहत की बात है।
अमेरिका की नीतियों के कारण भारत के लिए नए अवसर पैदा हो सकते हैं, खासकर निर्यात के क्षेत्र में। अगर भारत सरकार इन अवसरों का सही तरीके से लाभ उठाने में सफल होती है, तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। साथ ही, अमेरिका के व्यापारिक घाटे को देखते हुए, भारत को इस अवसर का पूरा लाभ उठाने के लिए अपनी तैयारियों को और भी मजबूत करना होगा।