
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए 1960 की सिंधु जल संधि पर रोक लगाने का बड़ा कदम उठाया है। इस फैसले का सीधा फायदा भारत के उत्तरी राज्यों को मिलेगा, खासकर पंजाब को। संधि रद्द होने के बाद पंजाब को रावी नदी से करीब 10 हजार क्यूसेक अतिरिक्त पानी मिलेगा, जो खेती और जीवन रेखा के लिए बेहद अहम साबित होगा।
इतिहास से जुड़ी कहानी
पंजाब के पूर्व आईएएस अधिकारी और जल विवाद विशेषज्ञ काहन सिंह पन्नू बताते हैं कि भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय से ही पाकिस्तान की ओर जाने वाले अतिरिक्त पानी का मुद्दा उठता रहा है। उस समय जम्मू-कश्मीर में बहती चिनाब नदी से एक बड़ी नहर निकालकर पंजाब को पानी देने की योजना बनाई गई थी। पंजाब नहर विभाग के तत्कालीन मुख्य इंजीनियर ने 1955 में इस योजना की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की थी। इस परियोजना से पंजाब को 10 हजार क्यूसेक पानी मिल सकता था, लेकिन 19 सितंबर 1960 को कराची में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच हुए सिंधु जल समझौते के कारण यह योजना अधर में लटक गई।
अब, जब भारत ने इस संधि पर पुनर्विचार किया है, तो पंजाब के लिए नई संभावनाओं के दरवाजे खुल सकते हैं।
कृषि और भूजल संकट को राहत
पंजाब लंबे समय से भूजल संकट का सामना कर रहा है। अतिरिक्त पानी मिलने से न केवल खेती को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि भूजल स्तर में भी सुधार होगा। इससे किसानों को राहत मिलेगी और सिंचाई पर निर्भरता घटेगी। पंजाब सरकार और विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर ये अतिरिक्त पानी सही ढंग से इस्तेमाल किया जाए तो पंजाब एक बार फिर हरित क्रांति का नेतृत्व कर सकता है।
हरियाणा और दिल्ली को भी मिलेगा फायदा
पानी का संकट सिर्फ पंजाब तक सीमित नहीं है। हरियाणा और दिल्ली भी जल संकट से जूझ रहे हैं। सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर परियोजना के तहत सतलुज नदी को हरियाणा की यमुना नदी से जोड़ा जाना था। यह योजना 1966 से अटकी हुई है। सिंधु जल संधि के खत्म होने से पंजाब के पास अतिरिक्त पानी होगा, जिससे हरियाणा और दिल्ली में भी पानी की आपूर्ति बेहतर हो सकती है।
राजस्थान में सूखे की समस्या होगी कम
सिंधु जल संधि के कारण अब तक राजस्थान को भी सीमित पानी मिल रहा था। समझौते के रद्द होने से राजस्थान को भी लाभ मिल सकता है। रेगिस्तानी इलाकों में खेती को बढ़ावा मिलेगा और पीने के पानी की समस्या में भी कमी आएगी।
भारत की बड़ी रणनीतिक जीत
विशेषज्ञ मानते हैं कि सिंधु जल संधि पर रोक लगाना सिर्फ एक जल प्रबंधन का फैसला नहीं है, बल्कि यह पाकिस्तान को आतंकवाद के समर्थन का करारा जवाब भी है। इससे भारत ने साफ कर दिया है कि वह अब अपने हितों से कोई समझौता नहीं करेगा।
मुख्य बातें संक्षेप में:
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पंजाब को रावी से 10 हजार क्यूसेक अतिरिक्त पानी मिलेगा।
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भूजल संकट और खेती में बड़ा सुधार होगा।
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हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान को भी पानी का फायदा मिलेगा।
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भारत ने पाकिस्तान को दिया सख्त संदेश।
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खेती, उद्योग और आम जनता को राहत।
भारत का संकल्प है: “अपने जल संसाधनों पर पूरा हक और देश के हर नागरिक तक पानी की पहुंच सुनिश्चित करना।”