
भारत ने सीमा पार से हो रहे आतंकवाद के खिलाफ अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी लड़ाई को और मजबूती देने का बड़ा फैसला लिया है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद अब देश की सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियां एकजुट होकर एक साझा मोर्चा बना रही हैं। इस दिशा में सरकार ने सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को विदेश भेजने का निर्णय लिया है। ये प्रतिनिधिमंडल दुनिया के प्रमुख देशों का दौरा करेंगे और भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को वहां की सरकारों और अंतरराष्ट्रीय मंचों के सामने प्रस्तुत करेंगे।
आतंकवाद पर सख्त भारत का साझा संदेश
इस खास पहल की जानकारी संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) के जरिए दी। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, “सबसे अहम पलों में भारत एकजुट खड़ा होता है। सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जल्द ही बड़े साझेदार देशों का दौरा करेंगे और आतंकवाद के प्रति भारत का जीरो टॉलरेंस का साझा संदेश लेकर जाएंगे। यह राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है।”
इस कदम का उद्देश्य स्पष्ट है — दुनिया को यह दिखाना कि आतंकवाद के मुद्दे पर भारत एकमत है और हर राजनीतिक विचारधारा इस पर एकजुट है।
किन सांसदों को चुना गया है?
इस अभियान में देश के सभी प्रमुख दलों के प्रतिनिधि शामिल किए गए हैं, ताकि वैश्विक मंचों पर एक मजबूत और गैर-राजनीतिक संदेश दिया जा सके। चुने गए सांसदों में शामिल हैं:
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शशि थरूर (कांग्रेस)
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रविशंकर प्रसाद (भारतीय जनता पार्टी)
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संजय कुमार झा (जनता दल यूनाइटेड)
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बैजयंत पांडा (भाजपा)
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कनीमोई करुणानिधि (DMK)
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सुप्रिया सुले (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी)
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श्रीकांत शिंदे (शिवसेना)
कहां-कहां जाएंगे प्रतिनिधिमंडल?
सूत्रों के अनुसार, ये सांसद अमेरिका, ब्रिटेन, कतर, संयुक्त अरब अमीरात और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों का दौरा करेंगे। इस दौरे की शुरुआत 22 मई के बाद होने की संभावना है। यह यात्रा विशेष रूप से ऐसे समय पर हो रही है जब भारत आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाना चाहता है, खासकर पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद को उजागर करने के लिए।
क्यों जरूरी है यह पहल?
भारत लंबे समय से आतंकवाद का शिकार रहा है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंकवादियों द्वारा आम नागरिकों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं ने एक बार फिर इस समस्या को गंभीर बना दिया है। भारत अब यह संदेश देना चाहता है कि आतंकवाद सिर्फ एक देश की नहीं बल्कि पूरी दुनिया की समस्या है।
इस प्रयास से भारत वैश्विक मंचों पर यह भी साबित करना चाहता है कि वह केवल सैन्य नहीं बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी आतंक के खिलाफ सख्त और सक्रिय है। साथ ही, यह दर्शाता है कि चाहे राजनीतिक मतभेद हों, लेकिन जब बात देश की सुरक्षा की आती है तो पूरा भारत एकसाथ खड़ा होता है।