
भारत में हाई-स्पीड बुलेट ट्रेन का सपना अब धीरे-धीरे हकीकत बनता जा रहा है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में एक वीडियो और कई जानकारियां साझा की हैं, जिससे साफ हो गया है कि मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर काम बहुत तेजी से हो रहा है।
300 किलोमीटर वायाडक्ट तैयार
इस प्रोजेक्ट का एक बड़ा हिस्सा – 300 किलोमीटर लंबा वायाडक्ट – अब तैयार हो चुका है। इसमें से करीब 257.4 किलोमीटर का निर्माण फुल स्पैन लॉचिंग टेक्नोलॉजी से किया गया है। इस टेक्नोलॉजी से काम की रफ्तार काफी तेज हो गई है और बड़ी संरचनाएं जल्दी बन रही हैं।
क्या है फुल स्पैन लॉचिंग टेक्नोलॉजी?
यह एक आधुनिक तकनीक है जिससे बड़े-बड़े गर्डर (स्टील या कंक्रीट के भारी बीम) को एक साथ स्थापित किया जाता है। इससे न केवल समय की बचत होती है, बल्कि निर्माण में मजबूती भी आती है। हर एक स्पैन गर्डर का वजन लगभग 970 टन होता है। इसके चलते निर्माण की रफ्तार 10 गुना तक बढ़ गई है।
अब तक कितना काम हुआ?
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383 किलोमीटर पियर्स (स्तंभ) बन चुके हैं।
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401 किलोमीटर नींव तैयार हो चुकी है।
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326 किलोमीटर गर्डर कास्टिंग का काम भी पूरा हो चुका है।
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गुजरात में लगभग 157 किलोमीटर ट्रैक बेड भी बिछाया जा चुका है।
स्टेशन और सुविधाएं
इस हाई-स्पीड बुलेट ट्रेन के रास्ते में कुल 12 स्टेशन बन रहे हैं। इनमें से सूरत स्टेशन लगभग तैयार हो चुका है। यह भारत का पहला बुलेट ट्रेन स्टेशन होगा। बाकी स्टेशनों पर भी तेज़ी से काम हो रहा है। इसके अलावा, आवाज को कम करने के लिए वायाडक्ट के दोनों ओर 3 लाख से ज्यादा नॉइज़ बैरियर लगाए जा रहे हैं।
ट्रायल और सेवा की उम्मीद
रेल मंत्री ने संकेत दिया है कि अगर सब कुछ सही रहा तो अगले साल बुलेट ट्रेन का ट्रायल रन शुरू हो सकता है। साथ ही अगस्त 2026 तक सूरत से बिलीमोरा के बीच बुलेट ट्रेन की सेवा शुरू होने की संभावना है। पूरे प्रोजेक्ट को 2029 तक पूरी तरह से चालू करने का लक्ष्य है।
भारत हो रहा है आत्मनिर्भर
इस प्रोजेक्ट में इस्तेमाल होने वाली अधिकतर तकनीक और सामान भारत में ही तैयार हो रहे हैं। लॉन्चिंग गैंट्री, ब्रिज गैंट्री, और गर्डर ट्रांसपोर्टर्स जैसे भारी मशीनों का निर्माण भारत में किया गया है। इससे यह भी साबित होता है कि भारत अब हाई-स्पीड ट्रेन तकनीक में आत्मनिर्भर बन रहा है।
शिंकासेन ट्रेन के कोच जल्द भारत आएंगे
अगर काम इसी तरह चलता रहा तो 2026 की शुरुआत में जापान से शिंकासेन ट्रेन के कोच भारत आ सकते हैं। महाराष्ट्र और गुजरात में इसके लिए स्पेशल डिपो भी बनाए जा रहे हैं।
भारत की पहली बुलेट ट्रेन अब सिर्फ सपना नहीं, बल्कि आने वाले कुछ सालों में हकीकत बनने जा रही है। जिस रफ्तार से काम हो रहा है, उससे साफ है कि भारत अब आधुनिक रेलवे टेक्नोलॉजी की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। अगर सब कुछ योजना के अनुसार चला, तो जल्द ही भारतीय यात्री भी बुलेट ट्रेन की रफ्तार का आनंद ले सकेंगे।