
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को कड़ा जवाब देने की शुरुआत कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में बड़ा फैसला लिया गया—भारत ने 1960 से लागू सिंधु जल संधि को स्थगित करने का निर्णय लिया है। यह फैसला ‘वॉटर स्ट्राइक’ की तरह है, जिससे पाकिस्तान पर भारी जल संकट का खतरा मंडरा रहा है।
क्या है सिंधु जल संधि?
सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हुई थी। यह समझौता भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच कराची में हुआ था। इस समझौते के अनुसार, भारत को पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलज) का पानी मिला और पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का अधिकतर हिस्सा (करीब 80%) दिया गया।
भारत अपने हिस्से का सिर्फ 10-15% पानी ही इस्तेमाल करता है, बाकी पानी पाकिस्तान में बहकर चला जाता है। सिंधु नदी पाकिस्तान की जीवन रेखा मानी जाती है। देश की 80% कृषि भूमि इसी नदी पर निर्भर है और बड़े शहरों की जलापूर्ति से लेकर बिजली उत्पादन तक इसी पानी से होता है।
क्यों लिया गया ये फैसला?
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 मासूमों की जान गई। इस हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन TRF का हाथ बताया जा रहा है। भारत सरकार का मानना है कि जब तक पाकिस्तान आतंक के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाता, तब तक ऐसे समझौते बनाए रखना ठीक नहीं है। इसलिए भारत ने सिंधु जल संधि को फिलहाल स्थगित कर दिया है।
इस फैसले का पाकिस्तान पर असर
भारत के इस कदम से पाकिस्तान में भारी जल संकट पैदा हो सकता है।
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सिंचाई ठप होने से कृषि उत्पादन में भारी गिरावट आएगी।
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शहरों में पानी की किल्लत से अशांति फैल सकती है।
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जल विद्युत परियोजनाएं बंद होने से बिजली संकट और ब्लैकआउट का खतरा बढ़ जाएगा।
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कराची, लाहौर, मुल्तान जैसे बड़े शहरों की जल आपूर्ति प्रभावित होगी।
भारत ने पहले कभी नहीं उठाया ऐसा कदम
गौर करने वाली बात ये है कि भारत ने 1965 और 1971 की युद्धों के दौरान भी सिंधु जल संधि को नहीं तोड़ा था। यहां तक कि 1971 में जब भारत ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए और बांग्लादेश का निर्माण हुआ, तब भी यह संधि बनी रही। लेकिन इस बार पहलगाम हमले के बाद भारत का रुख बेहद सख्त हो गया है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
भारत के इस कदम से पाकिस्तान बौखला गया है और इसे अंतरराष्ट्रीय नियमों के खिलाफ बता रहा है। वह अब इस फैसले को चुनौती देने के लिए वर्ल्ड बैंक का दरवाजा खटखटा सकता है, क्योंकि सिंधु संधि की मध्यस्थता वर्ल्ड बैंक ने ही की थी। हालांकि भारत का कहना है कि संधि को स्थाई रूप से नहीं, बल्कि अस्थाई रूप से रोका गया है—जब तक पाकिस्तान आतंक के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाता।
क्या होगा आगे?
इस फैसले से भारत को भी फायदे होंगे। अब भारत अपने अटके हुए जल परियोजनाएं जैसे रतले, पाकल दुल, और किरु को बिना पाकिस्तानी अड़ंगे के पूरा कर सकता है। इससे भारत को अधिक बिजली उत्पादन और सिंचाई की सुविधा मिलेगी।
सिंधु जल संधि को स्थगित करना भारत का अब तक का सबसे बड़ा रणनीतिक कदम माना जा रहा है। इससे एक तरफ पाकिस्तान पर दबाव बढ़ेगा तो दूसरी ओर भारत को अपने संसाधनों के बेहतर उपयोग का अवसर मिलेगा। अब दुनिया देख रही है कि क्या पाकिस्तान आतंक के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाता है या फिर सिर्फ बयानबाज़ी करता रहेगा।