
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने न सिर्फ भारत को झकझोर कर रख दिया, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में अशांति की स्थिति बना दी है। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई, जिससे पूरे देश में गुस्से और शोक की लहर फैल गई।
हमले के बाद भारत सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना को आतंकवाद के खिलाफ पूरी तरह से जवाबी कार्रवाई की छूट दे दी है। तीनों सेनाओं को अलर्ट मोड पर रखा गया है और पाकिस्तान को साफ संदेश दे दिया गया है कि अब भारत चुप नहीं बैठेगा।
पाकिस्तान की परमाणु धमकी
इस बीच रूस में पाकिस्तान के राजदूत मोहम्मद खालिद जमाली का एक इंटरव्यू सामने आया है, जिसने वैश्विक मंच पर हलचल मचा दी है। आरटी चैनल को दिए इंटरव्यू में जमाली ने कहा कि अगर भारत ने पाकिस्तान पर हमला किया या सिंधु नदी का पानी रोका, तो पाकिस्तान केवल पारंपरिक हथियारों से नहीं, बल्कि परमाणु हथियारों से भी जवाब दे सकता है।
यह बयान दुनियाभर में चिंता का कारण बना हुआ है, क्योंकि भारत और पाकिस्तान दोनों ही परमाणु हथियार संपन्न देश हैं। राजदूत जमाली ने यह भी दावा किया कि भारत की सैन्य योजनाएं लीक हो गई हैं, जिनमें पाकिस्तान पर कार्रवाई की बात कही गई है।
सिंधु जल समझौता बना विवाद का केंद्र
भारत ने पहलगाम हमले के बाद सिंधु जल समझौते की समीक्षा का ऐलान किया है। 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई यह संधि विश्व बैंक की मध्यस्थता से बनी थी, लेकिन अब यह रणनीतिक विवाद का हिस्सा बन चुकी है।
पाकिस्तान का आरोप है कि अगर भारत ने पानी रोकने या उसका बहाव बदलने की कोशिश की, तो इसे युद्ध की घोषणा माना जाएगा। भारत की ओर से साफ संकेत दिए गए हैं कि अब वह अपनी नदियों के जल संसाधनों पर फिर से विचार करेगा, खासकर जब सीमा पार से आतंकवाद को लगातार समर्थन मिल रहा है।
अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग और भारत का रुख
पाकिस्तान ने पहलगाम हमले की अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की है और रूस व चीन जैसे देशों को इसमें भूमिका निभाने को कहा है। हालांकि भारत ने इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया है और कहा है कि यह देश की आंतरिक सुरक्षा का मामला है।
तनाव कम करना क्यों जरूरी है?
दोनों देशों के बीच परमाणु तनाव की स्थिति केवल भारत-पाक सीमा तक सीमित नहीं है। इसका असर पूरे दक्षिण एशिया पर पड़ सकता है। इसलिए तनाव को कम करना समय की ज़रूरत है, लेकिन भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा।
भारत ने इस बार आतंकवाद को सहन न करने की नीति अपनाई है। पाकिस्तान की धमकियों के बावजूद भारत ने कड़ा रुख दिखाया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि आने वाले दिनों में यह विवाद कैसे मोड़ लेता है — क्या कूटनीति से समाधान निकलेगा या हालात और बिगड़ेंगे।