
देश की जानी-मानी आईटी कंपनी इंफोसिस ने एक बड़ा फैसला लेते हुए 240 एंट्री लेवल कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। ये सभी युवा कर्मचारी अभी ट्रेनिंग फेज में थे और कंपनी के इंटरनल टेस्ट यानी “फाइनल असेसमेंट” में पास नहीं हो पाए। यह जानकारी 18 अप्रैल 2025 को सामने आई। इससे पहले फरवरी 2025 में भी 300 से ज्यादा ट्रेनीज़ की छंटनी की गई थी।
टेस्ट में फेल होने पर लिया गया फैसला
कंपनी ने बताया कि इन ट्रेनीज़ को टेस्ट पास करने के तीन मौके दिए गए थे। साथ ही उन्हें अतिरिक्त समय, डाउट क्लियरिंग सेशन्स और मॉक टेस्ट्स जैसी सुविधाएं भी दी गईं, ताकि वे अच्छे से तैयारी कर सकें। लेकिन इसके बावजूद वे ‘जेनेरिक फाउंडेशन ट्रेनिंग प्रोग्राम’ को सफलतापूर्वक पूरा नहीं कर सके। ऐसे में कंपनी को मजबूरी में उन्हें बाहर करना पड़ा।
रेवेन्यू ग्रोथ का अनुमान भी कम
इंफोसिस का यह कदम ऐसे समय पर आया है जब आईटी सेक्टर में मंदी के संकेत दिखाई दे रहे हैं। कंपनी ने खुद कहा है कि इस साल का रेवेन्यू ग्रोथ केवल 0 से 3 प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है। इसका मुख्य कारण है कि अमेरिका और यूरोप जैसे बड़े बाजारों में ग्राहक खर्च कम कर रहे हैं, जिसकी वजह से कंपनी को नए प्रोजेक्ट और कॉन्ट्रैक्ट्स नहीं मिल रहे।
कंपनी ने दिया एक और मौका
हालांकि, इंफोसिस ने इन कर्मचारियों को सिर्फ बाहर नहीं किया, बल्कि उन्हें स्किल्स सुधारने का एक और मौका भी दिया है। कंपनी ने उन्हें NIIT और UpGrad जैसे प्लेटफॉर्म्स पर फ्री ट्रेनिंग कोर्सेस करने का ऑफर दिया है, जिससे वे अपनी स्किल्स को निखार सकें और आगे अच्छी नौकरी पा सकें।
इसके अलावा, इंफोसिस ने आउटप्लेसमेंट सर्विस की भी सुविधा दी है। इससे निकाले गए कर्मचारी बीपीएम इंडस्ट्री (बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट) की नौकरियों के लिए भी तैयार हो सकते हैं। अगर कोई अपनी आईटी स्किल्स को आगे बढ़ाना चाहता है, तो उसके लिए Infosys Sponsored IT Fundamentals Program भी उपलब्ध कराया गया है।
कर्मचारियों को मिलेगा सपोर्ट पैकेज
छंटनी के बावजूद इंफोसिस ने इन कर्मचारियों के लिए कुछ सुविधाएं भी रखी हैं। उन्हें एक महीने की सैलरी दी जाएगी। इसके साथ ही मैसूर ट्रेनिंग सेंटर से बेंगलुरु या उनके होमटाउन तक का सफर खर्च, और ट्रेनिंग पीरियड के दौरान आवास की सुविधा भी दी जाएगी।
क्या कहता है ये ट्रेंड?
आईटी इंडस्ट्री में ये ट्रेंड बता रहा है कि अब कंपनियां केवल उन युवाओं को ही रखना चाहती हैं जो प्रोफेशनली तैयार हैं और चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। वहीं दूसरी ओर, यह भी दिख रहा है कि कंपनियां युवाओं को स्किल सुधारने के मौके और संसाधन भी देना चाहती हैं, ताकि उनका करियर पूरी तरह से न रुके।
इंफोसिस का यह फैसला भले ही कई युवाओं के लिए झटका हो, लेकिन साथ ही यह एक सीख और दूसरा मौका भी है। जो युवा इस समय को सकारात्मक रूप से लेकर अपनी स्किल्स सुधारेंगे, उनके लिए आगे नए दरवाज़े खुल सकते हैं।
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