
बीते कुछ महीनों से कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखी जा रही थी, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह बदल गई है। इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के कारण शुक्रवार को तेल बाजार में भारी उथल-पुथल मच गई। इजरायल द्वारा ईरान पर किए गए हमले के बाद कच्चे तेल की कीमतों में अचानक 7 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो हाल के महीनों की सबसे बड़ी तेजी है।
तेल कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स की कीमत इंट्रा डे में 75.23 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई। बाद में यह 5.29 डॉलर यानी 7.63% की तेजी के साथ 74.65 डॉलर पर बंद हुआ। इसी तरह, वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड की कीमत 5.38 डॉलर यानी 7.91% बढ़कर 73.42 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई। यह 2 अप्रैल के बाद से सबसे बड़ा उछाल है।
हमला और इसके असर
इजरायल ने शुक्रवार को ईरान की राजधानी तेहरान और उसके आसपास के क्षेत्रों में कई ठिकानों पर हमला किया। इसके बाद ईरान की मीडिया ने बताया कि राजधानी में तेज धमाकों की आवाजें सुनी गईं। इस हमले के बाद पूरी दुनिया के तेल बाजार में हलचल तेज हो गई।
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बयान दिया कि इस ऑपरेशन का मकसद ईरान के परमाणु ढांचे, बैलिस्टिक मिसाइल निर्माण केंद्रों और सैन्य क्षमताओं को पूरी तरह खत्म करना है। उन्होंने यह भी कहा कि यह कार्रवाई इजरायल की सुरक्षा के लिए जरूरी है।
अमेरिका का रुख
इस हमले के बीच अमेरिका ने खुद को इससे अलग बताया है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि यह हमला इजरायल की एकतरफा कार्रवाई है और इसमें अमेरिका की कोई भागीदारी नहीं है। उन्होंने ईरान से अपील की कि वह अमेरिकी सैनिकों या अमेरिकी हितों को नुकसान न पहुंचाए।
तेल आपूर्ति पर संभावित खतरा
MST Marquee के वरिष्ठ ऊर्जा विश्लेषक सॉल कावोनिक ने कहा कि जब तक ईरान इस संघर्ष को तेल से जुड़े बुनियादी ढांचे तक नहीं ले जाता, तब तक आपूर्ति पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा। हालांकि उन्होंने चेतावनी दी कि अगर हालात बेकाबू हुए और ईरान ने होरमुज जलडमरूमध्य से तेल आवागमन में रुकावट डाली, तो प्रति दिन करीब 2 करोड़ बैरल तेल की आपूर्ति रुक सकती है। यह स्थिति वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भारी संकट खड़ा कर सकती है।
क्या हो सकता है आगे?
वर्तमान स्थिति काफी संवेदनशील है। अगर ईरान जवाबी हमला करता है या तेल से जुड़े बुनियादी ढांचे को निशाना बनाता है, तो कच्चे तेल की कीमतें और भी ऊपर जा सकती हैं। इसके असर से भारत समेत अन्य देशों में पेट्रोल-डीजल के दामों में भी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है, जिससे आम आदमी की जेब पर सीधा असर पड़ेगा।
ईरान-इजरायल तनाव का असर केवल युद्ध या राजनीति तक सीमित नहीं रहा, अब इसका सीधा असर वैश्विक बाजारों और आम लोगों पर दिखने लगा है। तेल की कीमतों में यह उछाल इस बात का संकेत है कि मध्य पूर्व में यदि हालात और बिगड़े, तो पूरी दुनिया को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।