
मध्य पूर्व में लंबे समय से चल रही ईरान और इजरायल के बीच की तनातनी अब सीजफायर यानी युद्धविराम तक पहुंच गई है। लेकिन इस शांति की नींव हिलती नज़र आ रही है, और इसका केंद्र बने हैं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप। उन्होंने दावा किया है कि इस संघर्ष विराम में उनकी अहम भूमिका रही है, लेकिन इससे जुड़ी कुछ बातें अब विवादों में घिर गई हैं।
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क्या हुआ सीजफायर?
ईरान और इजरायल के बीच बीते 12 दिनों से भारी संघर्ष जारी था। दोनों देशों ने एक-दूसरे के ऊपर मिसाइलें दागीं, हवाई हमले किए और सैन्य ताकत का पूरा प्रदर्शन किया। आखिरकार, सोमवार रात को एक सीजफायर समझौता हुआ, जिसके बाद दोनों देशों ने अपने हमले रोकने की सहमति जताई।
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ट्रंप का बड़ा दावा
सीजफायर की घोषणा होते ही अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सामने आए और उन्होंने दावा किया कि इस शांति में उनकी बड़ी भूमिका रही है। इतना ही नहीं, ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका ने ईरान के सभी परमाणु ठिकानों को पूरी तरह तबाह कर दिया है।
ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा,
> “हमने इतिहास की सबसे सफल सैन्य कार्रवाई की है। ईरान की न्यूक्लियर साइट्स अब मौजूद नहीं हैं।”
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सच्चाई क्या है?
हालांकि, ट्रंप के इस दावे पर अब सवाल उठने लगे हैं। एक अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स और खुफिया सूत्रों के अनुसार, ईरान के सभी परमाणु ठिकाने पूरी तरह तबाह नहीं हुए हैं।
पेंटागन के प्रवक्ता सीन पार्नेल ने बताया कि अमेरिका ने वाकई में ईरान पर भारी बमबारी की थी। करीब 30,000 पाउंड (लगभग 13,600 किलो) वजनी बम गिराए गए, जिससे कुछ ठिकानों को नुकसान पहुंचा है। लेकिन ईरान की परमाणु क्षमता पूरी तरह खत्म नहीं हुई है — सिर्फ उसकी गति धीमी पड़ी है।
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ट्रंप का गुस्सा
मीडिया में जब यह रिपोर्ट सामने आई कि ईरान की परमाणु क्षमता पूरी तरह खत्म नहीं हुई, तो ट्रंप ने इन खबरों को “फेक न्यूज” कहकर खारिज कर दिया।
उन्होंने दो टूक कहा कि रिपोर्ट गलत हैं और सच्चाई यह है कि अमेरिका ने ईरान की परमाणु ताकत को पूरी तरह नष्ट कर दिया है।
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फिर टूटा सीजफायर
शांति ज्यादा देर टिक नहीं पाई। ईरान और इजरायल दोनों ने एक-दूसरे पर फिर से हमला किया, जिससे सीजफायर टूट गया। इस पर ट्रंप ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और दोनों देशों को चेतावनी दी।
वॉशिंगटन में मीडिया से बात करते हुए ट्रंप ने कहा:
> “इन लोगों को शांत होना होगा। यह सब हास्यास्पद है। मैंने जो देखा, वह मुझे बिल्कुल पसंद नहीं आया – न इजरायल का हमला और न ही ईरान की जवाबी कार्रवाई।
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ईरान और इजरायल के बीच तनाव अब भी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। ट्रंप के दावों और हकीकत में फर्क साफ दिख रहा है। जहां एक ओर युद्धविराम की कोशिशें हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर सच और राजनीति के बीच तकरार चल रही है।
आने वाले दिन यह तय करेंगे कि क्या यह क्षेत्र एक बार फिर शांति की ओर बढ़ेगा या संघर्ष और गहराएगा।