इस्राइल-हमास युद्ध विराम से लोगों में खुशी की लहर
इस्राइल-हमास के बीच युद्ध विराम समझौता लागू होने के बाद क्षेत्र में खुशी का माहौल है। रविवार को इस समझौते के तहत दोनों पक्षों ने बंधकों की अदला-बदली की। हमास ने तीन इस्राइली बंधकों को रिहा किया, जबकि इस्राइल ने 90 फलस्तीनी कैदियों को रिहा किया।
रिहाई का यह घटनाक्रम इस्राइल के रामल्लाह स्थित ओफर जेल में हुआ, जहां से फलस्तीनी कैदियों को रिहा किया गया। इनमें महिलाओं, बच्चों और प्रमुख फलस्तीनी संगठनों के कार्यकर्ताओं समेत कई हस्तियां शामिल थीं। रिहाई के वक्त जेल के बाहर बड़ी संख्या में फलस्तीनी लोग इकट्ठा हुए और उन्होंने जोरदार आतिशबाजी के साथ रिहा कैदियों का स्वागत किया।
फलस्तीनियों ने रिहाई में देरी पर जताई नाराज़गी
फलस्तीनियों ने इस्राइल पर रिहाई में जानबूझकर देरी करने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि इस्राइल ने जश्न के माहौल को कम करने का प्रयास किया। हालांकि इस्राइली सेना ने सार्वजनिक जश्न मनाने के खिलाफ पहले ही सख्त चेतावनी जारी की थी।
प्रमुख हस्तियों की रिहाई
इस्राइल ने जिन 90 फलस्तीनियों को रिहा किया, उनमें कई प्रमुख हस्तियां शामिल थीं। इनमें 62 वर्षीय खालिदा जर्रारा, जो पॉपुलर फ्रंट फॉर लिबरेशन ऑफ फलस्तीन की प्रमुख नेता हैं, अहमद सआदत की पत्नी अबला अब्देल रसूल, और हमास अधिकारी सालेह अरोरी की बहन दलाल खासीब शामिल हैं। खालिदा जर्रारा को दिसंबर 2023 में हिरासत में लिया गया था।
7 अक्टूबर से शुरू हुआ संघर्ष
गौरतलब है कि इस्राइल-हमास युद्ध 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के साथ शुरू हुआ था, जिसमें हजारों लोगों की जान गई और लाखों लोग विस्थापित हुए। इस संघर्ष ने पूरे क्षेत्र में तबाही मचाई।
इस स्थिति को सामान्य बनाने के लिए मिस्र, कतर, और अमेरिका जैसे कई देशों ने मध्यस्थता की। अंततः 15 जनवरी 2025 को दोनों पक्षों ने युद्ध विराम और बंधकों की रिहाई पर सहमति जताई।
पिछले युद्ध विराम का संदर्भ
यह पहली बार नहीं है जब इस्राइल और हमास के बीच युद्ध विराम हुआ हो। नवंबर 2023 में भी एक सप्ताह के युद्ध विराम के दौरान 100 से अधिक बंधकों को रिहा किया गया था। इस्राइल रक्षा बल के प्रवक्ता डैनियल हैगरी ने बताया कि हमास की कैद से 471 दिनों के बाद रिहा हुई तीन इस्राइली महिलाओं को उनके परिवार से मिलाया गया।
युद्ध विराम से शांति की उम्मीद
इस समझौते के बाद क्षेत्र में तनाव कम होने की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि, दोनों पक्षों के बीच विश्वास की कमी और अतीत के कड़वे अनुभवों को देखते हुए यह देखना दिलचस्प होगा कि यह शांति कितनी टिकाऊ साबित होती है।