श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 29 जनवरी को अपने 100वें मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम देते हुए GSLV-F15 रॉकेट के जरिए NVS-02 नेविगेशन उपग्रह का प्रक्षेपण किया। यह मिशन आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 6:23 बजे लॉन्च किया गया।
यह मिशन ISRO के नए अध्यक्ष वी. नारायणन के नेतृत्व में पहला प्रक्षेपण है, जिन्होंने 13 जनवरी को पदभार ग्रहण किया था। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक और बड़ी उपलब्धि को दर्शाता है।
स्वदेशी तकनीक से लैस GSLV-F15 की 17वीं उड़ान
इसरो ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर इस सफल प्रक्षेपण की जानकारी साझा की। भू-समकालीन उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV-F15) अपनी 17वीं उड़ान में नेविगेशन उपग्रह NVS-02 को लेकर अंतरिक्ष में रवाना हुआ। यह उपग्रह ‘नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन’ (NavIC) श्रृंखला का दूसरा उपग्रह है, जिसे भारत के नेविगेशन सिस्टम को और अधिक सटीक और उन्नत बनाने के लिए डिजाइन किया गया है।
इस प्रक्षेपण में स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल किया गया, जो इसरो की स्वावलंबी अंतरिक्ष तकनीक की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
कैसे करेगा NVS-02 उपग्रह काम?
NVS-02 उपग्रह का मुख्य उद्देश्य भारतीय उपमहाद्वीप और इसके आसपास के लगभग 1,500 किलोमीटर के दायरे में स्थित क्षेत्रों को सटीक स्थिति, गति और समय (PNT – Position, Navigation, and Timing) की जानकारी प्रदान करना है।
यह भारतीय नौसेना, वायुसेना, सेना, वैज्ञानिक अनुसंधान, नागरिक उड्डयन, रेलवे, भू-मानचित्रण, आपदा प्रबंधन, और सार्वजनिक सेवाओं में बेहद उपयोगी होगा। इसके अलावा, यह गूगल मैप जैसे नेविगेशन सिस्टम के लिए भी सटीक डेटा प्रदान करेगा।
27.30 घंटे की उल्टी गिनती के बाद हुआ सफल लॉन्च
इस मिशन की उल्टी गिनती (Countdown) सोमवार देर रात 2:53 बजे शुरू हुई और करीब 27.30 घंटे बाद प्रक्षेपण किया गया। लॉन्च के दौरान सभी प्रणालियां सुचारू रूप से काम कर रही थीं और रॉकेट ने उपग्रह को निर्धारित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया।
भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक और ऐतिहासिक कदम
भारत पहले ही अपने चंद्र मिशन (चंद्रयान), मंगल मिशन (मंगलयान) और सूर्य मिशन (आदित्य L1) जैसी सफलताओं के कारण वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान में अग्रणी बन चुका है। अब NVS-02 की लॉन्चिंग से भारत की नेविगेशन क्षमता और मजबूत होगी, जिससे देश अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक और कदम बढ़ाएगा।
ISRO अब अपने आगामी मिशनों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जिसमें गगनयान मिशन और अन्य महत्वपूर्ण उपग्रह प्रक्षेपण शामिल हैं। इस सफलता के बाद, ISRO के वैज्ञानिकों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देशभर से बधाइयां मिल रही हैं।