झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के बच्चों के वार्ड में शुक्रवार रात आग लगने से कम से कम 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई, जबकि 16 बच्चे गंभीर रूप से झुलस गए। प्राथमिक जांच में पता चला है कि आग शॉर्ट सर्किट से लगी, लेकिन आग बुझाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सिलेंडर एक्सपायरी डेट के थे।
सरकार ने किया मुआवजे का ऐलान
योगी सरकार ने हादसे पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए मृतक बच्चों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा की है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने मौके पर पहुंचकर घटना का निरीक्षण किया और कहा कि घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं।
क्या हुआ था हादसे में?
आग रात करीब 10:45 बजे नवजात शिशु देखभाल इकाई (एनआईसीयू) में लगी, जहां 50 से अधिक बच्चे भर्ती थे। ज्यादातर बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला गया, लेकिन 10 नवजात नहीं बच सके। गंभीर रूप से झुलसे 16 बच्चों का इलाज जारी है।
नेताओं की प्रतिक्रिया
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया।
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने इसे प्रशासन और मेडिकल कॉलेज की लापरवाही बताया।
बसपा प्रमुख मायावती ने दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग की।
परिजनों का दर्द
हादसे में अपने बच्चे को खोने वाले एक दंपति ने कहा, “मेरा बच्चा आग में जलकर मर गया।” मां ने बताया कि बच्चे का जन्म 13 नवंबर को हुआ था।
अस्पताल का रुख
झांसी के मंडल आयुक्त विमल दुबे ने बताया कि एनआईसीयू के भीतरी हिस्से में करीब 30 बच्चे थे। घटना के कारणों की जांच की जा रही है। फरवरी में अग्नि सुरक्षा ऑडिट और जून में मॉक ड्रिल के बावजूद ऐसी घटना कैसे हुई, इस पर प्रशासन सवालों के घेरे में है।
झांसी मेडिकल कॉलेज की यह घटना गंभीर लापरवाही को उजागर करती है। पीड़ित परिवार न्याय की मांग कर रहे हैं, और प्रशासन पर सवाल खड़े हो रहे हैं।