आम आदमी पार्टी (AAP) आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपनी पिछली जीत को दोहराने की कोशिश कर रही है। साथ ही, पार्टी की नज़र उन 8 सीटों पर भी है, जहां उसे 2020 में हार का सामना करना पड़ा था। इन सीटों को वापस जीतने के लिए AAP ने विशेष रणनीति बनाई है, जिसमें खुद अरविंद केजरीवाल अहम भूमिका निभा रहे हैं।
5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को नतीजे
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए 5 फरवरी को मतदान होगा और 8 फरवरी को नतीजे आएंगे। सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को कम से कम 36 सीटों की जरूरत होगी। ऐसे में AAP अपनी पिछली जीत को बरकरार रखते हुए हारी हुई सीटों को भी जीतने की रणनीति बना रही है।
2020 में AAP किन सीटों पर हारी थी?
2020 के विधानसभा चुनाव में AAP को दिल्ली की 8 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। ये सीटें थीं—रोहिणी, बदरपुर, लक्ष्मीनगर, विश्वास नगर, करावल नगर, गांधी नगर, रोहतास नगर और घोंडा। इनमें से रोहिणी और विश्वास नगर सीटों पर AAP को 2015 में भी जीत नहीं मिली थी।
हारने वाली सीटों पर क्या कर रही है AAP?
AAP ने इन सीटों को जीतने के लिए उम्मीदवारों का चयन सोच-समझकर किया है। जिन सीटों पर बीजेपी मजबूत स्थिति में है, वहां नए उम्मीदवार उतारे गए हैं।
- करावल नगर में मनोज त्यागी
- घोंडा में स्थानीय पार्षद गौरव शर्मा
- लक्ष्मीनगर में बीजेपी से आए बीबी त्यागी
- रोहिणी में नेता प्रतिपक्ष बिजेंद्र गुप्ता के खिलाफ प्रदीप मित्तल
बदरपुर, विश्वास नगर, रोहतास नगर और गांधी नगर सीटों पर AAP ने अपने पुराने उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है, क्योंकि यहां जीत-हार का अंतर बहुत कम था।
केजरीवाल खुद संभाल रहे कैंपेन
अरविंद केजरीवाल खुद इन सीटों पर प्रचार कर रहे हैं। लक्ष्मीनगर, करावल नगर और घोंडा में उनकी रैलियां हो चुकी हैं, जहां उन्होंने बीजेपी विधायकों के काम को चुनावी मुद्दा बनाया।
करावल नगर की रैली में केजरीवाल ने बीजेपी प्रत्याशी पर निशाना साधते हुए कहा, “मैंने आपके लिए मनोज त्यागी को उम्मीदवार बनाया है, जो काम करने वाले व्यक्ति हैं।” उन्होंने बीजेपी प्रत्याशियों पर गाली-गलौज और नकारात्मक राजनीति करने का आरोप लगाया।
स्थानीय मुद्दों पर फोकस
AAP इस बार हारी हुई सीटों पर बीजेपी के विधायकों के खिलाफ एंटी-इनकंबेंसी को मुद्दा बना रही है। केजरीवाल लोगों को समझा रहे हैं कि अगर इन सीटों पर AAP के उम्मीदवार जीतते हैं, तो जनता सीधे उनसे मिलकर काम करवा सकती है।
महिलाओं का सहारा, डोर-टू-डोर कैंपेन पर जोर
रोहिणी सीट पर AAP दो बार से हार रही है। इस बार यहां प्रदीप मित्तल को उम्मीदवार बनाया गया है। उनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की पत्नी डोर-टू-डोर कैंपेन कर रही हैं।
इसके अलावा, अन्य हारी हुई सीटों पर भी AAP की महिला नेता चुनाव प्रचार में जुटी हैं। पार्टी महिला सम्मान और सुरक्षा के मुद्दे को उठाकर मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित करने की कोशिश कर रही है।
क्या AAP इन सीटों पर वापसी कर पाएगी?
आम आदमी पार्टी की इस नई रणनीति से क्या उसे हारी हुई सीटों पर जीत मिलेगी? यह तो 8 फरवरी को ही पता चलेगा। लेकिन इतना तय है कि अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।