
आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शुक्रवार को चुनाव आयोग पहुंचे और यमुना नदी में जहर मिलाने के उनके बयान को लेकर चुनाव आयोग के सवालों का जवाब दिया। इस मौके पर उनके साथ दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी मौजूद थे। केजरीवाल ने चुनाव आयोग के समक्ष इस मामले को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट की और कहा कि वह इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठ सकते, क्योंकि यह जनता के हित से जुड़ा हुआ है।
अरविंद केजरीवाल ने चुनाव आयोग से कहा कि अगर मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार और चुनाव आयोग ने इस विवाद में हरियाणा सरकार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, तो यह माना जाएगा कि चुनाव आयोग सत्ताधारी दल के पक्ष में काम कर रहा है और जनता के हितों को नजरअंदाज कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस मामले में उन पर बीजेपी के इशारे पर कोई अवैध कार्रवाई की जाती है, तो वह इसका स्वागत करेंगे, क्योंकि वह सच के पक्ष में हैं।
केजरीवाल के इस बयान के बाद चुनाव आयोग ने अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि वह इस मामले में बिना किसी व्यक्तिगत आक्षेप के और पूरी निष्पक्षता के साथ निर्णय लेगा। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस मुद्दे पर पूरी गंभीरता से विचार करेगा और फैसले का आधार मेरिट होगा, न कि किसी के प्रभाव या आक्रामक रणनीति के तहत।
इससे पहले, चुनाव आयोग ने अरविंद केजरीवाल से यमुना नदी में कथित तौर पर जहर मिलाने के बयान को लेकर पांच सवाल पूछे थे, जिनका जवाब उन्होंने शुक्रवार को दिया। उन्होंने चुनाव आयोग से यह भी कहा कि अगर इस मुद्दे पर कोई कार्रवाई नहीं होती है, तो यह आम जनता के विश्वास को नुकसान पहुंचाएगा।
केजरीवाल का यह बयान राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, खासकर दिल्ली में विधानसभा चुनावों से पहले, जहां उनकी पार्टी की स्थिति मजबूत है। इस मामले में बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। दोनों पार्टियां एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रही हैं, जिससे यह मामला और भी तूल पकड़ता जा रहा है।
यह घटनाक्रम चुनाव आयोग के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि वह निष्पक्षता बनाए रखने की कोशिश करेगा, वहीं राजनीतिक दल अपनी-अपनी राजनीतिक रणनीतियों के तहत इस मामले को आगे बढ़ा रहे हैं।