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आज किसान आंदोलन 2.0 को एक साल पूरा हो गया है। यह आंदोलन पंजाब-हरियाणा की शंभू और खनौरी सीमाओं पर जारी है, जिसमें फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी समेत 13 प्रमुख मांगें शामिल हैं।
आज इस मौके पर किसानों की एक महापंचायत आयोजित की गई, जहां भारी संख्या में लोग पहुंचे। इसी बीच संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की एक बैठक चंडीगढ़ में हुई, जिसमें आंदोलन को लेकर आगे की रणनीति तय की गई।
किसान नेताओं की बैठक और बयान
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि,
👉 11 से 13 फरवरी तक किसानों के कई कार्यक्रम तय किए गए हैं।
👉 खनौरी बॉर्डर से किसान इस बैठक में नहीं आ सके, लेकिन हम फिर भी चर्चा करने पहुंचे हैं।
👉 हमने आंदोलन को एकजुट रखने की रणनीति पर चर्चा की।
👉 आने वाले दिनों में एक और बैठक होगी, जिसमें आगे की योजना बनाई जाएगी।
👉 14 फरवरी को केंद्र सरकार के साथ होने वाली बैठक को लेकर पूरी रणनीति आज शाम तक साफ कर दी जाएगी।
जगजीत सिंह डल्लेवाल की भूख हड़ताल को 79 दिन पूरे
- किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल पिछले 78 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हैं।
- वे खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं।
- उन्होंने महापंचायत के दौरान किसानों को संदेश दिया और कहा कि हमें अपनी मांगों के लिए एकजुट रहना होगा।
- किसान संगठन लगातार सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि MSP की गारंटी समेत सभी मांगों को जल्द से जल्द पूरा किया जाए।
क्यों कर रहे हैं किसान आंदोलन?
किसानों की प्रमुख मांगें:
✅ MSP की कानूनी गारंटी: सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी रूप से लागू करे।
✅ कर्ज़ माफी: किसानों के पुराने कर्ज़ को माफ किया जाए।
✅ बिजली बिल में राहत: किसानों को मुफ्त या सस्ती बिजली दी जाए।
✅ पराली जलाने पर कार्रवाई न हो: पराली जलाने पर किसानों पर जुर्माना न लगाया जाए।
✅ पेंशन योजना: छोटे और मझोले किसानों को पेंशन मिले।
✅ फसल बीमा योजना में सुधार: किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए पक्की योजना बने।
✅ लाठीचार्ज और केस वापस लिए जाएं: पिछले आंदोलन के दौरान किसानों पर हुए लाठीचार्ज और दर्ज केस वापस लिए जाएं।
सरकार और किसानों के बीच बातचीत
- पिछले साल, केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की बातचीत हुई, लेकिन कोई ठोस हल नहीं निकला।
- किसानों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं ले रही है।
- 14 फरवरी को एक और बैठक होगी, जिसमें आंदोलन के भविष्य को लेकर बड़ी घोषणा हो सकती है।
क्या हो सकता है आगे?
🔹 अगर सरकार किसानों की मांगों को मानती है, तो आंदोलन समाप्त हो सकता है।
🔹 अगर सरकार ने उनकी मांगें पूरी नहीं कीं, तो किसान आंदोलन और तेज कर सकते हैं।
🔹 किसान संगठनों ने पहले ही दिल्ली मार्च की चेतावनी दी है।
🔹 सरकार की ओर से MSP को कानूनी दर्जा देने पर फिलहाल कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है।
👉 किसान आंदोलन 2.0 को आज एक साल पूरा हो गया है और किसान अभी भी अपनी मांगों पर अडिग हैं।
👉 संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने आंदोलन को जारी रखने का फैसला किया है।
👉 भूख हड़ताल पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल 79वें दिन भी डटे हुए हैं।
👉 14 फरवरी को सरकार और किसानों के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक होगी, जिसमें आंदोलन के भविष्य को लेकर फैसला हो सकता है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार किसानों की मांगों को मानती है या नहीं, और अगर नहीं मानती तो आंदोलन किस दिशा में जाएगा।