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सोमवार, 10 फरवरी को भारतीय रुपया 45 पैसे गिरकर 87.95 रुपये प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। इसके पीछे अमेरिकी डॉलर की मजबूती और घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट को मुख्य कारण बताया जा रहा है।
डॉलर मजबूत क्यों हुआ?
अमेरिकी सरकार द्वारा नए व्यापारिक शुल्क (टैरिफ) लगाने की घोषणा के बाद डॉलर को मजबूती मिली है।
- डोनाल्ड ट्रंप ने स्टील और एल्यूमीनियम के आयात पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया।
- इस फैसले से व्यापार युद्ध की चिंता बढ़ गई, जिससे निवेशक अमेरिकी मुद्रा की ओर भागे।
- डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की स्थिति को दर्शाता है, 0.22% बढ़कर 108.28 पर पहुंच गया।
रुपये पर क्या असर पड़ा?
- भारतीय रुपये की शुरुआत 87.94 रुपये प्रति डॉलर पर हुई, लेकिन जल्दी ही गिरकर 87.95 रुपये प्रति डॉलर के निचले स्तर पर पहुंच गया।
- शुक्रवार को रुपया 87.50 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
- विदेशी निवेशकों (FII) ने भारतीय शेयर बाजार में 470.39 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए, जिससे रुपये पर और दबाव पड़ा।
RBI की भूमिका – क्या हस्तक्षेप किया गया?
- बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रुपये को गिरने से बचाने के लिए बाजार में दखल दे सकता है।
- सोमवार को सरकारी बैंकों को बाजार खुलने से पहले डॉलर बेचते हुए देखा गया, जिससे संकेत मिलता है कि यह RBI का हस्तक्षेप हो सकता है।
- रुपये के 88 के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार करने की आशंका थी, लेकिन RBI के हस्तक्षेप से इसे कुछ हद तक रोका गया।
क्या बाकी एशियाई देशों की मुद्राओं पर भी असर पड़ा?
- डॉलर की मजबूती से एशियाई बाजारों की सभी मुद्राएं कमजोर हुईं।
- कई देशों की मुद्राओं में 0.1% से 0.6% तक गिरावट दर्ज की गई।
- डॉलर इंडेक्स 108.3 पर पहुंच गया, जिससे दुनियाभर की मुद्राओं पर दबाव बना।
तेल की कीमतें भी बढ़ीं
- अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भी इजाफा हुआ।
- ब्रेंट क्रूड 0.63% चढ़कर 75.13 डॉलर प्रति बैरल हो गया।
- भारत को तेल आयात करना पड़ता है, और जब तेल महंगा होता है तो रुपये पर दबाव और बढ़ जाता है।
आगे क्या होगा?
अगर अमेरिकी डॉलर मजबूत बना रहा और अमेरिकी टैरिफ नीति को लेकर अनिश्चितता बनी रही, तो भारतीय रुपये में और कमजोरी आ सकती है।
- बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अगर हालात नहीं सुधरते, तो रुपया 88 रुपये प्रति डॉलर का स्तर भी पार कर सकता है।
- RBI स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बाजार में और अधिक डॉलर बेच सकता है।
निवेशकों के लिए सलाह
- विदेशी निवेश करने वालों को सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि रुपये की कमजोरी से विदेश यात्रा और विदेशी शिक्षा महंगी हो सकती है।
- सोने और डॉलर में निवेश करने वालों को फायदा हो सकता है क्योंकि रुपये की गिरावट से इनकी कीमतें बढ़ती हैं।
- शेयर बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है, इसलिए निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए।
भारतीय रुपये में आई इस रिकॉर्ड गिरावट का मुख्य कारण डॉलर की मजबूती और अमेरिका द्वारा नए टैरिफ लगाने की घोषणा है। अगर वैश्विक व्यापार युद्ध की स्थिति बनी रही, तो रुपये पर और दबाव पड़ सकता है। हालांकि, RBI स्थिति को संभालने के लिए हस्तक्षेप कर सकता है, जिससे रुपये को कुछ राहत मिल सकती है।