Kolkata Rape Murder Case: कोलकाता बलात्कार और हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई और हड़ताल पर गए डॉक्टरों से मरीजों की सुरक्षा के लिए काम पर लौटने की अपील की। हालांकि, अदालत की अपील के बावजूद, हड़ताल पर गए निवासी डॉक्टर काम पर लौटने के मूड में नहीं दिखते। आइए जानते हैं कि डॉक्टरों की मांगें क्या हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कोलकाता में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के खिलाफ किए गए अत्याचारों के मामले की सुनवाई की। इस दौरान, कोर्ट ने डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई और उन्हें समाज और मरीजों के हित में काम पर लौटने की अपील की। लेकिन, हड़ताली डॉक्टर अभी भी काम पर लौटने के लिए तैयार नहीं दिखते।
हड़ताली डॉक्टरों की मांगें
ऑल इंडिया रिज़ीडेंट्स एंड जूनियर डॉक्टर्स जॉइंट एक्शन फोरम ने कहा कि हालांकि सुप्रीम कोर्ट की नीयत अच्छी है, लेकिन यह हमारे स्वास्थ्य प्रणाली की बुनियादी समस्याओं को संबोधित नहीं करती। डॉक्टरों का कहना है कि स्वास्थ्य प्रणाली को दशकों से नजरअंदाज किया गया है।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज के निवासी डॉक्टरों ने भी स्पष्ट किया कि वे इस समय एक भी कदम पीछे नहीं हटेंगे। उनका कहना है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट इस मामले में फैसला नहीं सुनाता, उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।
आईएमए ने केंद्र सरकार से एक केंद्रीय कानून की मांग की है जिसमें 2023 में महामारी रोग अधिनियम, 1897 में किए गए संशोधन शामिल हों। आईएमए का कहना है कि अस्पतालों को अनिवार्य सुरक्षा सुविधाएं, सीसीटीवी कैमरे, सुरक्षा कर्मियों की तैनाती और सुरक्षा प्रोटोकॉल प्रदान किए जाने चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान की गई टिप्पणियां
सुप्रीम कोर्ट ने प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के खिलाफ हुए अत्याचार को लेकर ममता सरकार, पुलिस और अस्पताल प्रशासन को फटकार लगाई। कोर्ट ने ममता सरकार को भी चेतावनी दी कि राज्य पुलिस का अस्पताल और आपातकालीन स्थितियों में पहुंचने में असफलता को लेकर जिम्मेदार ठहराया।
कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन करने का आदेश दिया और 22 अगस्त को सीबीआई की स्थिति रिपोर्ट भी तलब की है। सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने कई सख्त टिप्पणियां की हैं।