
देश में एक बार फिर से कोरोना मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है और इसका असर अब शेयर बाजार पर भी नजर आने लगा है। मंगलवार को भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई। निवेशकों की चिंताओं और वैश्विक संकेतों की कमजोरी ने बाजार की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया।
सेंसेक्स और निफ्टी में बड़ी गिरावट
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 624 अंक की गिरावट के साथ 81,551 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी-50 भी 174 अंक टूटकर 24,826 के स्तर पर लाल निशान में बंद हुआ। यह गिरावट उस समय देखने को मिली जब पिछले कारोबारी दिन यानी सोमवार को बाजार में जोरदार तेजी दर्ज की गई थी।
सोमवार को बाजार में आई थी तेजी
सोमवार को सेंसेक्स 455 अंक चढ़कर 82,176 पर बंद हुआ था और निफ्टी 148 अंक की बढ़त के साथ 25,001 के स्तर पर पहुंच गया था। लेकिन मंगलवार को निवेशकों की मनोदशा पूरी तरह बदल गई और बिकवाली हावी हो गई।
गिरावट के 9 प्रमुख कारण
शेयर बाजार में आई गिरावट के पीछे कई अहम कारण रहे:
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उच्च स्तर पर मुनाफा वसूली – पिछले कुछ दिनों से बाजार ऊंचे स्तर पर था, ऐसे में निवेशकों ने मुनाफा बुक करना शुरू किया।
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मासिक डेरिवेटिव की समाप्ति का दबाव – महीने के अंत में ट्रेडर्स सतर्क हो जाते हैं, जिससे उतार-चढ़ाव बढ़ता है।
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एशियाई बाजारों से कमजोर संकेत – चीन और जापान के बाजारों में कमजोरी का असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा।
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आर्थिक आंकड़ों से पहले सतर्कता – निवेशक आगामी जीडीपी और महंगाई जैसे आंकड़ों से पहले सतर्क हो गए हैं।
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अस्थिरता सूचकांक में वृद्धि – वोलैटिलिटी इंडेक्स में उछाल से बाजार में घबराहट फैली।
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आईटी और बैंकिंग सेक्टर में दबाव – इन क्षेत्रों में शेयरों की भारी बिकवाली हुई।
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वैश्विक व्यापार को लेकर अनिश्चितता – अमेरिका-चीन के बीच व्यापार को लेकर बने तनाव का असर।
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भूराजनीतिक तनाव – पश्चिम एशिया और रूस-यूक्रेन जैसे मुद्दों से अस्थिरता बनी हुई है।
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कोरोना मामलों में इजाफा – देश में कोविड-19 के केस फिर बढ़ रहे हैं जिससे निवेशकों की चिंता बढ़ी है।
निवेशकों को सलाह
विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशकों को फिलहाल सतर्क रहना चाहिए और लंबी अवधि के दृष्टिकोण से निवेश की रणनीति बनानी चाहिए। बाजार में उतार-चढ़ाव आगे भी बने रहने की संभावना है।