माघी पर्व पर पंजाब पुलिस सेवा कमेटी द्वारा लगाया गया लंगर, DGP हुए शामिल
माघी पर्व 10वें पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी और उनके साथ शहीद हुए 40 सिख योद्धाओं की याद में मनाया जाता है। यह पर्व निस्वार्थ सेवा और बलिदान का प्रतीक है। इस अवसर पर पंजाब पुलिस सेवा कमेटी ने मानवता की सेवा में एक विशेष लंगर का आयोजन किया।
पंजाब पुलिस मुख्यालय के बाहर लगा लंगर
माघी के पावन अवसर पर पंजाब पुलिस सेवा कमेटी द्वारा पंजाब पुलिस मुख्यालय के बाहर श्रद्धालुओं और जनता के लिए लंगर लगाया गया। यह लंगर गुरु नानक देव जी के सिद्धांत “किरत करो, नाम जपो, वंड छको” का अनुसरण करते हुए निस्वार्थ सेवा का संदेश देता है।
सरबत के भले की अरदास
लंगर आयोजन के दौरान समूची मानवता की भलाई और खुशहाली के लिए “सरबत के भले” की विशेष अरदास की गई। यह अरदास गुरु साहिब के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास है।
डीजीपी और अन्य अधिकारियों की उपस्थिति
लंगर आयोजन में पंजाब पुलिस के डायरेक्टर जनरल (डीजीपी) गौरव यादव ने विशेष रूप से भाग लिया। उनके साथ इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (आईजीपी) मुख्यालय सुखचैन सिंह गिल भी उपस्थित थे। अतिरिक्त डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (एडीजीपी) एसएस श्रीवास्तव ने भी इस समागम में हिस्सा लिया।
धार्मिक सद्भावना पर जोर
अरदास के बाद डीजीपी गौरव यादव ने सामुदायिक सेवा और धार्मिक सद्भावना के महत्व को उजागर किया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन न केवल समाज को जोड़ने का काम करते हैं, बल्कि सांप्रदायिक सद्भावना और मानवता के प्रति समर्पण की भावना को भी बढ़ावा देते हैं।
पुलिस सेवा कमेटी के प्रयासों की सराहना
डीजीपी गौरव यादव ने पंजाब पुलिस सेवा कमेटी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने उन्हें भविष्य में भी इस तरह के सामाजिक और धार्मिक कार्यों को जारी रखने के लिए प्रेरित किया। डीजीपी ने कहा कि ऐसे प्रयास समाज में एकता और भाईचारे की भावना को मजबूत करते हैं।
लंगर के माध्यम से संदेश
इस लंगर के माध्यम से गुरु साहिब के सिद्धांतों को व्यवहार में लाने और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने का संदेश दिया गया। यह आयोजन लोगों को सेवा और सद्भावना के महत्व की याद दिलाने का एक अनूठा प्रयास था।
माघी पर्व के अवसर पर पंजाब पुलिस सेवा कमेटी ने मानवता की सेवा में लंगर का आयोजन किया। डीजीपी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने इस अवसर पर भाग लिया और निस्वार्थ सेवा और धार्मिक सद्भावना के महत्व पर जोर दिया। यह आयोजन गुरु नानक देव जी के सिद्धांतों पर आधारित था और समाज में एकता और भाईचारे की भावना को मजबूत करने का प्रयास था।