
भारत ने कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का करारा जवाब देते हुए पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद आतंकियों के ठिकानों पर जबरदस्त एयर स्ट्राइक की है। इस हमले को तीनों सेनाओं—भारतीय वायु सेना, थल सेना और नौसेना—ने मिलकर अंजाम दिया है। रात डेढ़ बजे शुरू हुआ यह हमला बेहद सटीक और शक्तिशाली रहा। इस ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया है।
9 आतंकी ठिकानों पर हमला
भारत ने इस कार्रवाई में पाकिस्तान के 4 और पीओके के 5 ठिकानों को टारगेट किया। इन सभी जगहों पर लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के आतंकी मौजूद थे। भारतीय खुफिया एजेंसी RAW ने पहले ही इन ठिकानों की पहचान कर ली थी, और फिर गुप्त तरीके से हमले की पूरी योजना बनाई गई। इस हमले में एयर-टू-सरफेस मिसाइल का इस्तेमाल किया गया, जिससे आतंकियों के ठिकाने पूरी तरह तबाह कर दिए गए।
कर्नल सोफिया कुरैशी ने दी प्रेस ब्रीफिंग
इस ऑपरेशन के बारे में जानकारी देने के लिए सेना की तरफ से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। इस ब्रीफिंग को कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने संबोधित किया। उन्होंने बताया कि यह एक संयुक्त सैन्य ऑपरेशन था, जिसमें तीनों सेनाएं पूरी तैयारी और समन्वय के साथ शामिल थीं। उन्होंने यह भी बताया कि स्ट्राइक से पहले हर एक लक्ष्य की सैटेलाइट और ग्राउंड इंटेलिजेंस के जरिए पुष्टि की गई थी।
कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी?
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की एक तेजतर्रार और बहादुर अधिकारी हैं। उन्होंने मार्च 2016 में पुणे में आयोजित बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारत की टुकड़ी का नेतृत्व किया था, जिसमें 18 देशों ने हिस्सा लिया था। इस अभ्यास में वे एकमात्र महिला अधिकारी थीं, जिन्होंने किसी दल की कमान संभाली थी। यह उनकी नेतृत्व क्षमता और सैन्य कौशल का प्रमाण है।
संयुक्त राष्ट्र में निभा चुकी हैं बड़ी भूमिका
कर्नल सोफिया सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी शांति अभियानों में सक्रिय रही हैं। 2006 में वे कांगो में संयुक्त राष्ट्र मिशन में सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में तैनात थीं। 2010 से वे शांति अभियानों से जुड़ी रही हैं और उन्होंने कई कठिन मिशनों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है।
सेना से जुड़ने की प्रेरणा घर से मिली
गुजरात की रहने वाली कर्नल सोफिया बायोकेमिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएट हैं और वे 1999 में शॉर्ट सर्विस कमीशन के ज़रिए भारतीय सेना में शामिल हुई थीं। उस समय उनकी उम्र सिर्फ 17 साल थी। सेना के प्रति उनका लगाव परिवार से ही आया, क्योंकि उनके दादा भी सेना में थे, और उनके पति भी एक आर्मी ऑफिसर हैं। उन्होंने सेना के सिग्नल कॉर्प्स में भी बतौर अफसर काम किया है।
क्यों है यह ऑपरेशन खास?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ इस मायने में बेहद खास है क्योंकि यह आतंकी हमलों के जवाब में भारत की आक्रामक और निर्णायक नीति को दर्शाता है। यह संदेश साफ है कि भारत अब आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेगा और अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर हद तक जाएगा। इस ऑपरेशन ने दुश्मनों को साफ कर दिया है कि अगर भारत पर वार हुआ, तो जवाब भी उसी ताकत से मिलेगा। कश्मीर में हुए हमले के बाद भारत की इस कार्रवाई ने देशवासियों में गर्व और विश्वास पैदा किया है। सेना की बहादुरी और कर्नल सोफिया कुरैशी जैसी वीर महिलाओं की मौजूदगी ने यह साबित कर दिया है कि भारत पूरी तरह सक्षम है अपने दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने में। यह सिर्फ एक हमला नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की नई नीति का प्रतीक है।