
पाकिस्तान के कराची में लश्कर-ए-तैयबा के वित्तीय मामलों को संभालने वाले और हाफिज सईद के करीबी सहयोगी अब्दुल रहमान की अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घटना तब हुई जब मोटरसाइकिल पर सवार हमलावरों ने अब्दुल रहमान पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं और मौके से फरार हो गए।
हमले की पूरी घटना
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, गोलियां लगते ही अब्दुल रहमान ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें हमलावरों को तेजी से फायरिंग करते और फिर भागते हुए देखा जा सकता है।
लगातार मारे जा रहे आतंकी नेता
यह एक महीने के भीतर दूसरी बड़ी आतंकी हत्या है। 17 मार्च को भी लश्कर-ए-तैयबा के एक और बड़े आतंकवादी जिया-उर-रहमान उर्फ अबू कतल की इसी तरह हत्या कर दी गई थी।
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जिया-उर-रहमान को हाफिज सईद का सबसे करीबी माना जाता था।
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वह लश्कर-ए-तैयबा का दूसरा सबसे बड़ा कमांडर था।
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जम्मू-कश्मीर में कई बड़े आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड भी था।
साजिश या आतंकी गुटों की आपसी लड़ाई?
यह पहली बार नहीं है जब लश्कर-ए-तैयबा के बड़े नेताओं को इस तरह मारा गया हो। 2023 में भी लश्कर के दो बड़े ऑपरेशन कमांडर हंजला अदनान और रियाज अहमद उर्फ अबू कासिम को मार दिया गया था।
अब सवाल यह उठता है कि:
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क्या यह आतंकी गुटों के बीच आपसी दुश्मनी का नतीजा है?
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क्या किसी बाहरी एजेंसी का इसमें हाथ है?
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क्या पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति इससे जुड़ी हो सकती है?
आगे क्या होगा?
इस घटना के बाद लश्कर-ए-तैयबा और अन्य आतंकी संगठनों में खौफ फैल गया है। अब तक पाकिस्तान में ये आतंकी खुद को सुरक्षित मानते थे, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं।
अगर ये सिलसिला जारी रहा, तो क्या हाफिज सईद खुद भी इस खतरे की जद में आ सकता है? यह देखने वाली बात होगी।