संसद में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का बयान: संविधान सम्मत है विधेयक, जेपीसी को भेजने का प्रस्ताव
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संसद में एक महत्त्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा के दौरान स्पष्ट किया कि इसके प्रावधान संविधान सम्मत हैं और इसमें किसी भी प्रकार से संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि विधेयक को पेश करने पर कुछ सदस्यों ने आपत्ति जताई, जिसमें अनुच्छेद 368 के उल्लंघन का विषय उठाया गया। अनुच्छेद 368 संविधान में संशोधन की प्रक्रिया और संसद को इसके लिए शक्ति प्रदान करता है।
कानून मंत्री ने बताया कि अनुच्छेद 327 के तहत संसद को अधिकार है कि वह विधानमंडलों के चुनाव से जुड़े प्रावधान कर सकती है। इस अनुच्छेद के अनुसार, संसद को चुनावों के संचालन और समय-सीमा से संबंधित कानून बनाने का अधिकार प्राप्त है। इसके अलावा, उन्होंने अनुच्छेद 83 का हवाला देते हुए कहा कि सदनों और विधानमंडलों की अवधि को पुनर्निर्धारित करने का प्रावधान संवैधानिक है।
कानून मंत्री ने संविधान के सातवें अनुच्छेद का भी उल्लेख किया, जो केंद्र को विशेष शक्तियाँ प्रदान करता है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के केशवानंद भारती केस का संदर्भ देते हुए कहा कि इस फैसले में फेडरल स्ट्रक्चर (संघीय ढाँचे) की बात की गई थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस विधेयक में संघीय ढाँचे पर किसी प्रकार का आघात नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि केशवानंद भारती मामले में संविधान की बुनियादी संरचना की रक्षा पर ज़ोर दिया गया था, और इस विधेयक से संविधान की मूल भावना पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
अर्जुन राम मेघवाल ने डॉ. भीमराव अंबेडकर का हवाला देते हुए कहा कि बाबा साहब ने संविधान सभा में 4 नवंबर 1948 को संघवाद के सिद्धांत को स्पष्ट करते हुए कहा था कि भारत का संघ संविधान के माध्यम से जुड़ा हुआ है, न कि किसी आपसी समझौते के आधार पर। उन्होंने कहा कि संघीय ढाँचा अविनाशी है और इसे कोई नहीं बदल सकता।
कानून मंत्री ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का धन्यवाद करते हुए बताया कि चुनाव आयोग ने वर्ष 1983 से ही देश में एक साथ चुनाव कराने का विचार प्रस्तावित किया था, लेकिन 41 वर्षों से इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक आयोजित हुई थी, जिसमें 19 दलों ने भाग लिया। इनमें से 16 दलों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया और केवल तीन दलों ने विरोध जताया।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 26 नवंबर 2020 को केवड़िया, गुजरात में एक साथ चुनाव की आवश्यकता पर दिए गए बयान का जिक्र किया। उस समय सभी पीठासीन अधिकारियों ने इस विचार का समर्थन किया था।
कानून मंत्री ने कहा कि 41 वर्षों से लंबित इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंभीरता दिखाई और देशहित में एक महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि दूरदर्शी नेता ही इतिहास बनाते हैं और यह विधेयक देश के लोकतांत्रिक ढाँचे को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
अंत में, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में भेजने का प्रस्ताव रखा। सदन में ध्वनिमत से विधेयक को पेश किया गया, लेकिन विपक्ष की डिवीजन की माँग पर मतदान प्रक्रिया शुरू हुई। इस दौरान विधेयक को लेकर सदन में गरमागरम बहस भी देखी गई।