
पंजाब की सियासत में इन दिनों बड़ा बवाल खड़ा हो गया है। नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने हाल ही में एक चौंकाने वाला दावा किया कि पाकिस्तान से आतंकी संगठन पंजाब में बम भेज चुके हैं। उनका कहना था कि उन्हें खुद यह जानकारी मिली है कि “पांच बम भेजे जा चुके हैं।”
अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर बाजवा के पास ये इनपुट आया कहां से?
ये तो साफ़ है कि ना तो ये जानकारी किसी सरकारी खुफिया एजेंसी से आई है, और ना ही केंद्र सरकार की ओर से कोई ऐसी सूचना सार्वजनिक की गई है। फिर ऐसे में ये सवाल उठना लाज़मी है कि प्रताप बाजवा के पाकिस्तान से कैसे और कौन से संपर्क हैं, जिससे उन्हें सीधे आतंकियों से फोन आ रहे हैं?
अगर उनके पास ऐसी संवेदनशील और गंभीर जानकारी थी, तो उनका फर्ज़ बनता था कि वो तुरंत पंजाब पुलिस या सुरक्षा एजेंसियों को सूचित करते। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, बल्कि इसे एक सियासी मुद्दा बना दिया। क्या बाजवा किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे थे? क्या वो चाहते थे कि बम फटे, जानें जाएं और फिर वो सरकार पर हमला करें?
अगर उनका दावा सही है, तो उन्हें तुरंत अपने सोर्स की जानकारी देनी चाहिए, ताकि सुरक्षा एजेंसियां समय रहते कार्रवाई कर सकें। लेकिन अगर ये बात झूठ निकली, तो ये पंजाब जैसे संवेदनशील राज्य में डर और दहशत फैलाने की साजिश है, जिसे कतई नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
इस तरह की बयानबाज़ी न सिर्फ गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ भी है। केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को इसपर सख़्त रुख अपनाना चाहिए।
विपक्षी दलों और आम जनता का सवाल यही है – क्या बाजवा इस तरह की अफवाहें फैलाकर पंजाब में अशांति फैलाना चाहते हैं? और अगर ऐसा है, तो कांग्रेस पार्टी को भी सोचना पड़ेगा कि क्या ऐसे नेता को पार्टी में रखना सही है।
अगर किसी नेता का मकसद देश की सुरक्षा को खतरे में डालकर सियासत चमकाना है, तो यह देशद्रोह के बराबर है। ऐसे में बाजवा से जवाबदेही तय करना बेहद जरूरी है। उन्हें साफ़-साफ़ बताना होगा कि उनके पास ये जानकारी कहां से आई।
देश की सुरक्षा कोई मज़ाक नहीं है, और अगर कोई नेता इसका दुरुपयोग करता है, तो उस पर कड़ा एक्शन लिया जाना चाहिए – चाहे वो किसी भी पार्टी से क्यों ना हो।