
लुधियाना नगर निगम के जनरल हाउस की पहली बैठक वीरवार को आयोजित हुई, जिसमें 1091 करोड़ रुपये का बजट पेश किया गया। हालांकि, बैठक में माहौल तब गरमा गया जब विपक्षी पार्षदों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। हंगामे के बीच मेयर ने चर्चा पूरी होने से पहले ही बजट पास कर दिया, जिससे विपक्षी दलों में भारी नाराजगी देखी गई।
बजट पर चर्चा से पहले ही हंगामा
दरअसल, बैठक के दौरान विपक्षी दलों के पार्षद जीरो ऑवर की मांग कर रहे थे, ताकि वे अपने क्षेत्र की समस्याएं उठा सकें। लेकिन मेयर और आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायकों ने साफ कर दिया कि इस बैठक में सिर्फ बजट पर चर्चा होगी। साथ ही, यह भी तय किया गया कि हर पार्टी के सिर्फ एक सदस्य को ही बोलने का मौका मिलेगा।
इस फैसले से विपक्षी दल भड़क गए और उन्होंने विरोध करना शुरू कर दिया। हंगामे की स्थिति को देखते हुए मेयर ने चर्चा पूरी होने से पहले ही बजट को पास कर दिया और बैठक खत्म कर दी।
विपक्ष ने जताया विरोध
कांग्रेस पार्षदों ने इस जल्दबाजी को लेकर कड़ा ऐतराज जताया। उनका कहना था कि बिना उचित चर्चा के बजट पास करना लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अपमान है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा,
“यह लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा है। हमने अपनी बात रखने का प्रयास किया, लेकिन हमें मौका ही नहीं दिया गया। यह सरासर अन्याय है।”
1091 करोड़ रुपये का बजट, कैसे होगा खर्च?
नगर निगम द्वारा पेश किए गए 1091 करोड़ रुपये के बजट में शहर के बुनियादी ढांचे, सफाई व्यवस्था, जल आपूर्ति और सड़क निर्माण जैसे मुद्दों पर फंड आवंटित किया गया है। हालांकि, बजट को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं, खासकर इसकी पारदर्शिता और इसे मंजूरी देने की प्रक्रिया पर।
भविष्य में फिर होगा टकराव?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस विवाद के बाद विपक्षी दल आने वाले दिनों में और आक्रामक हो सकते हैं। कांग्रेस पहले ही इस मुद्दे को लेकर प्रदर्शन करने की तैयारी कर रही है।
लुधियाना नगर निगम की इस कार्यशैली को लेकर आम जनता में भी सवाल उठ रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि इस तरह की जल्दबाजी से पारदर्शिता प्रभावित होती है और महत्वपूर्ण फैसलों पर सही तरीके से चर्चा नहीं हो पाती।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या विपक्ष इस मुद्दे को लेकर आगे कोई बड़ा कदम उठाता है या फिर मामला यहीं ठंडा पड़ जाएगा।