
लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए आज सुबह 7 बजे से मतदान शुरू हुआ। इस सीट पर 14 उम्मीदवार मैदान में हैं और कुल 1,75,469 मतदाता वोट डालने के हकदार हैं। इनमें 90,088 पुरुष, 85,371 महिलाएं और 10 तीसरे लिंग के मतदाता शामिल हैं। मतदान शाम 6 बजे तक चलेगा, जबकि नतीजे 23 जून को घोषित किए जाएंगे।
मतदान प्रतिशत का क्रम:
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सुबह 9 बजे तक: 8.50% मतदान हुआ।
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11 बजे तक: यह आंकड़ा बढ़कर 21.51% पहुंच गया।
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दोपहर 1 बजे तक: 33.42% लोगों ने मतदान कर लिया था।
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दोपहर 3 बजे तक: मतदान 41.04% तक पहुंच गया।
मतदान केंद्रों पर सुबह से ही लोगों की लाइनें देखने को मिलीं। बुज़ुर्ग, महिलाएं और पहली बार वोट डालने वाले युवा भी पूरे उत्साह के साथ वोटिंग बूथों पर पहुंचे। एक 88 वर्षीय बुज़ुर्ग बाबा भी व्हीलचेयर पर मतदान करने पहुंचे, जो लोगों के लिए प्रेरणा बने।
प्रमुख उम्मीदवारों में टक्कर
इस उपचुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) की ओर से संजीव अरोड़ा और कांग्रेस की तरफ से ममता आशू आमने-सामने हैं। ममता आशू, लुधियाना के वरिष्ठ कांग्रेस नेता भारत भूषण आशू की पत्नी हैं। दोनों प्रत्याशियों के बीच ज़ोरदार बहस भी देखने को मिली। ममता आशू ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी ने पोलिंग बूथों के बाहर दूसरे शहरों से ‘गुंडे’ बुलाए हैं। इस पर संजीव अरोड़ा की तरफ से भी तीखी प्रतिक्रिया दी गई।
आज़ाद उम्मीदवार का संदेश
वहीं, एक आज़ाद उम्मीदवार नीटू शटरांवाला ने भी मतदान किया और लोगों से वोट डालने की अपील की। उन्होंने कहा कि वे चुनाव जीतने के लिए नहीं, बल्कि लोगों को जागरूक करने के लिए मैदान में हैं। उनका मानना है कि लोकतंत्र में हर नागरिक को अपनी भागीदारी निभानी चाहिए।
मतदान केंद्रों पर उत्साह
लोगों में वोटिंग को लेकर खासा उत्साह देखा गया। कई जगहों पर युवाओं और बुज़ुर्गों ने मतदान केंद्रों पर आकर अपनी जिम्मेदारी निभाई। पहली बार वोट डालने वाले युवाओं के चेहरों पर खास उत्साह देखने को मिला। प्रशासन की ओर से शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए पुख्ता इंतज़ाम किए गए हैं।
पुलिस और सुरक्षा बल मतदान केंद्रों पर तैनात हैं ताकि किसी तरह की कोई गड़बड़ी न हो। सभी राजनीतिक दल अपने-अपने समर्थकों को वोटिंग के लिए प्रेरित कर रहे हैं और वोट प्रतिशत बढ़ाने की कोशिश में जुटे हैं।
लुधियाना पश्चिम का उपचुनाव केवल एक सीट का चुनाव नहीं है, बल्कि यह राज्य की राजनीतिक दिशा को तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है। अब देखना यह होगा कि 23 जून को किसके पक्ष में जनता का फैसला जाता है – सत्ताधारी आम आदमी पार्टी, कांग्रेस या कोई आज़ाद उम्मीदवार।