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मोगा में आयोजित संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की महापंचायत में एक बड़ा फैसला लिया गया है। महापंचायत में यह प्रस्ताव पारित किया गया कि शंभू और खनौरी सीमा पर चल रहे किसान आंदोलनों का समर्थन करने के लिए एकजुट होकर संघर्ष जारी रखा जाएगा। इसके तहत, शुक्रवार को 101 किसानों का एक जत्था, जिसमें छह सदस्यीय कमेटी भी शामिल होगी, खनौरी मोर्चे में जाएगा।
महापंचायत में यह भी निर्णय लिया गया कि किसानों की एकजुटता और संघर्ष की दिशा तय करने के लिए 15 जनवरी को पटियाला में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की जाएगी। इस बैठक में आगे की रणनीति बनाई जाएगी। महापंचायत के मंच से किसान नेता योगिंदर सिंह उगराहां ने यह स्पष्ट किया कि कोई भी किसान नेता शंभू और खनौरी सीमा पर चल रहे आंदोलनों के खिलाफ बयानबाजी नहीं करेगा।
इसके साथ ही, महापंचायत में यह भी तय किया गया कि सरकार से अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए निरंतर प्रयास किए जाएंगे। 13 जनवरी को तहसील स्तर पर केंद्रीय कृषि मंडीकरण नीति के खिलाफ खऱड़ की प्रतियां जलाने का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसके अलावा, 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा। इस कार्यक्रम को संयुक्त रूप से आयोजित करने पर भी विचार किया जा रहा है, यदि सभी संगठन एकजुट होते हैं।
किसान नेता राकेश टिकैत ने भी महापंचायत में अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा, “हमारी तालमेल कमेटी कल खनौरी मोर्चे पर जाएगी। अगर पंजाब की जत्थेबंदियां एकजुट हो जाती हैं, तो पूरे देश में यह लहर फैल जाएगी। फिलहाल यह आंदोलन पंजाब की धरती पर है, लेकिन इसे दूसरे राज्यों तक पहुंचाना होगा।”
संयुक्त किसान मोर्चा ने यह साफ किया कि वह इस संघर्ष से कभी पीछे नहीं हटेगा। एसकेएम के 40 नेता इस संघर्ष का हिस्सा हैं, और केंद्र सरकार की कोशिशों के बावजूद, एसकेएम को तोड़ने की उसकी योजना विफल रहेगी। सरकार ने 700 नए संगठन बनाए हैं जो उसकी भाषा बोलते हैं, लेकिन एसकेएम का आंदोलन अपने उद्देश्य को लेकर दृढ़ संकल्पित है। राकेश टिकैत ने यह भी कहा कि उनके कुछ साथी भूख हड़ताल पर हैं, जो अब अपने 45वें दिन में प्रवेश कर चुकी है। हालांकि, उन्हें दुख है कि सरकार उनके पक्ष को सुनने के बजाय सही रवैया अपनाने में नाकाम रही है।
इस महापंचायत के बाद, यह स्पष्ट हो गया कि संयुक्त किसान मोर्चा अपने आंदोलन को और भी मजबूत बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेगा। सरकार का यह प्रयास भी जारी है कि वह इस आंदोलन को दबाने में सफल हो, लेकिन किसान संगठनों की एकजुटता सरकार की इस योजना को विफल करने में सक्षम हो सकती है। किसानों का यह संघर्ष न केवल पंजाब, बल्कि पूरे देश में अपनी ज़मीन और अधिकारों की रक्षा के लिए चल रहा है।
महापंचायत में यह भी चर्चा की गई कि सरकार की नीतियों के खिलाफ किसानों को जागरूक करने और उनकी एकजुटता को बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। किसान नेताओं का मानना है कि अगर सभी संगठन एकजुट हो जाते हैं, तो सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव करना पड़ेगा।
इस महापंचायत के बाद, किसानों के आंदोलन को लेकर एक नई ऊर्जा और उम्मीद जगी है, और यह साफ है कि किसान अब अपनी मांगों को लेकर और भी मजबूत होकर लड़ाई लड़ेंगे।