ग्रेटर नोएडा में किसानों की महापंचायत के लिए हजारों किसान जुट चुके हैं। सहारनपुर, मेरठ, अलीगढ़, मुरादाबाद और आगरा के पांच मंडलों से किसानों का जमावड़ा हो रहा है। इस महापंचायत की योजना भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने नोएडा में किसानों की गिरफ्तारी के विरोध में बनाई थी। आंदोलन के दौरान पुलिस कार्रवाई और किसानों की मांगों को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है।
क्यों हो रही है महापंचायत?
संयुक्त किसान मोर्चा के 10 संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कूच का ऐलान किया था। सोमवार को नोएडा के राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल पर प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस ने सख्त कार्रवाई की। कई किसानों को गिरफ्तार किया गया और कुछ को हाउस अरेस्ट किया गया। इसके बाद किसान नेताओं ने आंदोलन तेज करते हुए ग्रेटर नोएडा में महापंचायत बुलाने का निर्णय लिया।
महापंचायत का आयोजन मुजफ्फरनगर के सिसौली गांव में भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद तय हुआ। किसान नेता राकेश टिकैत ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा के किसान संगठनों के साथ फोन पर चर्चा कर आंदोलन को मजबूती देने का आह्वान किया।
योगी सरकार का कदम
उत्तर प्रदेश सरकार ने आंदोलनकारी किसानों की मांगों को सुलझाने के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर औद्योगिक विकास विभाग के सचिव अभिषेक प्रकाश ने यह कमेटी बनाई। समिति को भूमि अधिग्रहण और मुआवजा विवाद जैसे मुद्दों की जांच कर एक महीने के भीतर रिपोर्ट देने का आदेश दिया गया है।
उपराष्ट्रपति का कड़ा रुख
इस बीच, उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने किसान आंदोलन और उससे जुड़े राजनीतिकरण पर सख्त टिप्पणी की। उन्होंने विपक्ष को नसीहत देते हुए कहा, “किसानों के मुद्दों का हल नारेबाजी या मगरमच्छ के आंसू बहाने से नहीं होगा।” उपराष्ट्रपति ने किसानों से किए गए वादों को पूरा करने पर जोर देते हुए कहा कि वादों को नजरअंदाज करना सरकार के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
किसान आंदोलन का घटनाक्रम
सोमवार को किसानों ने दिल्ली कूच की शुरुआत की, लेकिन शाम को प्राधिकरण अधिकारियों के आश्वासन पर उन्होंने सात दिन का समय देते हुए प्रदर्शन को दलित प्रेरणा स्थल पर स्थानांतरित कर दिया। मंगलवार को पुलिस ने कई किसानों को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें पुलिस लाइन और लुक्सर जेल भेज दिया।
किसान संगठनों की मांगें
किसानों की मुख्य मांगें भूमि अधिग्रहण से संबंधित मुआवजा, अधिग्रहित जमीन के सही उपयोग और प्रभावित किसानों के पुनर्वास को लेकर हैं। आंदोलनकारी किसान इन मुद्दों पर सरकार से तत्काल समाधान की मांग कर रहे हैं।
सरकार और किसानों के बीच बातचीत की संभावनाएं
योगी सरकार की ओर से गठित पांच सदस्यीय समिति को किसान संगठनों की शिकायतों का गहराई से अध्ययन कर समाधान निकालने का निर्देश दिया गया है। वहीं, किसान संगठन इस महापंचायत के माध्यम से सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
महापंचायत के परिणामस्वरूप यह देखना दिलचस्प होगा कि किसानों की मांगों पर सरकार कितना और कितना जल्दी अमल करती है। फिलहाल, ग्रेटर नोएडा में चल रही महापंचायत से आंदोलन और समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण संकेत मिलने की उम्मीद है।