महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए 288 सीटों पर कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। इस चुनाव में कुल 7,995 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल किया है, जो राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के अनुसार 10,905 नामांकन पत्रों के रूप में दर्ज हुए हैं। नामांकन प्रक्रिया 22 अक्टूबर से 29 अक्टूबर तक चली, जिसके बाद 30 अक्टूबर को सत्यापन प्रक्रिया शुरू हुई। उम्मीदवारों के पास चार नवंबर तक अपने नाम वापस लेने का विकल्प रहेगा। चुनाव की तारीख 20 नवंबर निर्धारित की गई है।
बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी का सियासी समीकरण
महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) 148 सीटों पर उम्मीदवार उतार कर महायुति गठबंधन का नेतृत्व कर रही है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुआई में शिवसेना 80 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि उपमुख्यमंत्री अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने 53 उम्मीदवार उतारे हैं। महायुति में पांच सीटों पर अन्य सहयोगियों को टिकट दिया गया है, जबकि दो सीटों पर अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है।
महा विकास आघाड़ी (MVA) की रणनीति
विपक्षी महा विकास आघाड़ी गठबंधन में कांग्रेस 103 सीटों पर, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) 89 सीटों पर और एनसीपी (शरद पवार) 87 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार रही है। इसके अतिरिक्त, छह सीटों पर गठबंधन के अन्य सहयोगी पार्टियों ने दावेदारी पेश की है, जबकि तीन सीटें अभी अनिर्णीत हैं।
AIMIM और अन्य क्षेत्रीय दलों का प्रभाव
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी, ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM), ने इस बार 14 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जो राज्य में अल्पसंख्यक समुदाय के मतदाताओं के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का प्रयास करेगी।
मौजूदा विधायकों के कटे टिकट
इस चुनाव में कई मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं मिला है। रिपोर्ट के अनुसार, बीजेपी ने अपने आठ मौजूदा विधायकों को मैदान से बाहर कर दिया है। कांग्रेस ने भी अपने पांच मौजूदा विधायकों को टिकट देने से इंकार किया है। अजित पवार और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने दो-दो मौजूदा विधायकों को इस बार टिकट नहीं दिया। वहीं, सीएम शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने दो विधायकों को छोड़कर लगभग सभी मौजूदा विधायकों को फिर से चुनाव में उतारा है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब सभी दल अपनी-अपनी सीटों पर मतदाताओं को साधने की कोशिश में जुट गए हैं। महायुति और महा विकास आघाड़ी के बीच मुकाबला इस बार बेहद कांटे का होने की संभावना है, जिसमें विभिन्न मुद्दों के साथ-साथ क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भी कड़ा संघर्ष देखने को मिलेगा।