महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की लड़ाई अपने चरम पर पहुंच गई है, और इस बीच एनसीपी (राष्ट्रीयist कांग्रेस पार्टी) के प्रमुख शरद पवार ने अपने राजनीतिक संन्यास की चर्चा को हवा दी है। उन्होंने बारामती में युगेंद्र पवार की प्रचार रैली में अपने भाषण के दौरान इस बात का संकेत दिया कि वह राजनीति से एक नई दिशा की ओर बढ़ सकते हैं। हालांकि, पवार ने स्पष्ट किया कि वे सामाजिक कार्य करते रहेंगे, चाहे वे चुनावी राजनीति में हों या नहीं।
बारामती में सभा का आयोजन
आज बारामती में युगेंद्र पवार के प्रचार के दौरान शरद पवार ने उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित किया। उन्होंने अपने पिछले 55 वर्षों के राजनीतिक जीवन का जिक्र करते हुए कहा कि वह अब राजनीतिक सत्ता से दूर जाने का समय समझते हैं। उन्होंने कहा, “मैं सत्ता में नहीं हूं, लेकिन राज्यसभा में हूं। अब और डेढ़ साल बाकी हैं, लेकिन इसके बाद राज्यसभा में जाना है या नहीं, इस पर विचार करना पड़ेगा। मैं लोकसभा नहीं लड़ूंगा और कोई भी चुनाव नहीं लड़ूंगा। कितनी बार चुनाव लड़ूँगा?”
सामाजिक कार्य पर ध्यान
शरद पवार ने अपने भाषण में कहा, “मैंने अब तक 14 बार चुनाव लड़ा है और आप लोगों ने मुझे हर बार चुना है। लेकिन कहीं तो रुकना पड़ेगा, नई पीढ़ी को सामने लाना पड़ेगा। इस विचार के साथ मैं काम पर लगा हूं। इसका मतलब यह नहीं है कि मैंने सामाजिक कार्य छोड़ दिया है। मैं लोगों की सेवा और काम करता रहूंगा।” उनका यह बयान युवा पीढ़ी को आगे लाने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की उनकी सोच को दर्शाता है।
राजनीतिक सफर की झलक
पवार ने अपने राजनीतिक सफर को याद करते हुए कहा, “आपमें से कुछ उस समय थे जब मैंने 55 साल पहले महाराष्ट्र के सभी हिस्सों में काम करना शुरू किया था। 1967 में मुझे उस समय के मतदाताओं ने चुना। मैं अब भी उनमें से कुछ मतदाताओं को यहां देखता हूं, जो अब 50-55 साल के हो गए हैं। उनके सहयोग से मैं विधानसभा में गया, राज्य मंत्री बना, फिर मंत्री बना, मुख्यमंत्री बना, रक्षा मंत्रालय में काम किया, कृषि मंत्रालय में काम किया, और आज मैं राज्यसभा में हूं।”
नई पीढ़ी के नेताओं का समर्थन
शरद पवार के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में कई सवाल उठाए हैं, खासकर उन युवा नेताओं के लिए जो पार्टी की बागडोर संभालने के लिए तैयार हैं। उनका यह संकेत कि वह अब चुनावी राजनीति से दूर रहेंगे, यह दर्शाता है कि वह नई पीढ़ी को नेतृत्व की भूमिका में देखना चाहते हैं। उनके इस निर्णय से यह भी स्पष्ट होता है कि वे पार्टी को मजबूत बनाना चाहते हैं ताकि युवा नेता आगे आ सकें और नई सोच के साथ समाज की सेवा कर सकें।
शरद पवार का यह बयान राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ की ओर इशारा करता है। उनका राजनीतिक सफर और सामाजिक कार्यों के प्रति समर्पण ने उन्हें एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित किया है। विधानसभा चुनाव में उनकी भूमिका भले ही अब सीमित हो, लेकिन उनका सामाजिक कार्य और नई पीढ़ी के नेताओं का समर्थन जारी रहेगा। महाराष्ट्र की राजनीति में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा, और उनके संन्यास के संकेत से यह स्पष्ट होता है कि वे अपने अनुभव और ज्ञान का उपयोग समाज सेवा में करना चाहते हैं।