अंतिम चरण में प्रचार, भाजपा ने महायुति की जीत का किया दावा
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी सरगर्मी चरम पर है। चुनाव प्रचार अपने अंतिम चरण में है, जहां सभी राजनीतिक दल अपने-अपने आखिरी दांव खेल रहे हैं। 23 नवंबर को चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे, लेकिन उससे पहले सत्तारूढ़ भाजपा और महाविकास अघाड़ी के बीच तीखा मुकाबला देखने को मिल रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी का संदेश: ‘पूरी ताकत लगा दीजिए’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को महाराष्ट्र के भाजपा बूथ प्रमुखों के साथ संवाद किया और उन्हें चुनाव प्रचार और मतदान के दिन की तैयारियों की समीक्षा करने का निर्देश दिया। पीएम मोदी ने कहा, “आखिरी के तीन दिन बचे हैं। मतदान का समय खत्म होने तक आपकी मेहनत खत्म नहीं होनी चाहिए। हर वोटर को पोलिंग बूथ तक लाना आपकी जिम्मेदारी है। मुझे पूरा विश्वास है कि महायुति (भाजपा-शिवसेना-एनसीपी) की सरकार बनेगी।”
प्रधानमंत्री ने कार्यकर्ताओं को “हर वोट अहम है” का संदेश देते हुए बूथ स्तर पर मजबूत नेटवर्क तैयार करने का आह्वान किया।
भाजपा का नारा: ‘बटेंगे तो कटेंगे’
भाजपा ने अपने चुनावी प्रचार में इस बार एक नया नारा दिया है: “बटेंगे तो कटेंगे।” पार्टी ने इसे महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के खिलाफ एक प्रमुख रणनीति के रूप में इस्तेमाल किया है। भाजपा का आरोप है कि एमवीए दल—शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (शरद पवार गुट), और कांग्रेस—धार्मिक और जातिगत आधार पर लोगों को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं।
उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “महाविकास अघाड़ी वोट जिहाद के तहत चुनाव लड़ रही है। ये लोग धार्मिक और जातीय भावनाओं को भड़काकर वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। लेकिन महाराष्ट्र की जनता उन्हें सबक सिखाएगी।”
फडणवीस ने महायुति की जीत का दावा करते हुए कहा कि भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट), और एनसीपी (अजित पवार गुट) के गठबंधन से राज्य में एक बार फिर विकास का नया अध्याय लिखा जाएगा।
महाविकास अघाड़ी का पलटवार
महाविकास अघाड़ी ने भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए इसे चुनावी हताशा करार दिया। शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने कहा, “भाजपा झूठे आरोप लगाकर जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाना चाहती है। महाराष्ट्र में बेरोजगारी, किसानों की बदहाली, और महंगाई जैसे मुद्दे महत्वपूर्ण हैं, लेकिन भाजपा इन पर बात नहीं करना चाहती।”
एनसीपी नेता शरद पवार ने कहा, “भाजपा के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है। इसलिए वे फिजूल के आरोप लगाकर वोट हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। जनता इनकी राजनीति समझ चुकी है।”
चुनावी माहौल: नेताओं की रैलियों का दौर
जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, महाराष्ट्र में चुनावी रैलियों और जनसभाओं का सिलसिला तेज हो गया है। प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा लगातार रैलियों में शामिल हो रहे हैं।
महाविकास अघाड़ी की ओर से शरद पवार, उद्धव ठाकरे, और कांग्रेस नेता राहुल गांधी प्रमुख रूप से रैलियों को संबोधित कर रहे हैं। राहुल गांधी ने अपनी हालिया रैली में कहा, “भाजपा-शिवसेना सरकार ने महाराष्ट्र को सिर्फ झूठे वादे दिए हैं। हम विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं।”
मतदाता की भूमिका निर्णायक
महाराष्ट्र में इस बार का चुनाव खास है क्योंकि यह भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) के गठबंधन के लिए एक बड़ी परीक्षा है। वहीं, महाविकास अघाड़ी भी अपनी एकजुटता दिखाने की कोशिश में जुटी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में मतदाताओं की प्राथमिकताएं अलग हो सकती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि संकट, सिंचाई, और किसानों के मुद्दे प्रमुख हैं, जबकि शहरी मतदाता बुनियादी ढांचे और रोजगार पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
महाराष्ट्र में चुनावी माहौल पूरी तरह गर्म है। भाजपा और महाविकास अघाड़ी के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। भाजपा जहां “महायुति की जीत” का दावा कर रही है, वहीं महाविकास अघाड़ी “भाजपा सरकार की विफलताओं” को उजागर करने में जुटी है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 20 नवंबर को महाराष्ट्र के मतदाता किसे अपना आशीर्वाद देते हैं और 23 नवंबर को किसकी जीत होती है।