उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज की नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में शुक्रवार रात हुए भीषण अग्निकांड में 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई। यह दर्दनाक हादसा शॉर्ट सर्किट के कारण हुआ, जिससे चिकित्सा सेवाओं पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। घटना के बाद प्रशासन से लेकर मानवाधिकार आयोग तक सक्रिय हो गया है।
आग लगने की वजह और अस्पताल की प्रतिक्रिया
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) सचिन माहोर के अनुसार, एनआईसीयू में आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट थी। उस समय एनआईसीयू में 49 नवजात शिशु भर्ती थे। हादसे में 10 बच्चों की मौत हो गई, जबकि 16 अन्य घायल हुए। बाकी 37 बच्चों को बचा लिया गया। घायलों का इलाज मेडिकल कॉलेज और आसपास के निजी अस्पतालों में जारी है।
पीड़ित परिवारों के लिए राहत उपाय
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया और मृतक नवजातों के परिजनों को मुख्यमंत्री राहत कोष से पांच-पांच लाख रुपये और घायलों के परिजनों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। इसके अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से भी मृतक बच्चों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि प्रदान करने की घोषणा की गई है।
जांच और जिम्मेदारों पर कार्रवाई
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने घटना पर दुख जताते हुए कहा कि पूरे मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं। 24 घंटे के भीतर जांच रिपोर्ट मांगी गई है। उन्होंने कहा कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने भी घटना का संज्ञान लिया है और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। एनएचआरसी ने रिपोर्ट में एफआईआर की स्थिति, जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई, घायलों के लिए चिकित्सा सुविधाओं की स्थिति और पीड़ित परिवारों को दी गई मुआवजे की जानकारी शामिल करने को कहा है।
मौके पर राहत और बचाव कार्य
आग लगने के तुरंत बाद दमकल कर्मियों ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया। प्राथमिक राहत और बचाव कार्य तेजी से किया गया, जिससे 37 बच्चों की जान बचाई जा सकी। लेकिन इस हादसे ने अस्पताल में सुरक्षा उपायों की कमी को उजागर कर दिया है।
घटना पर राजनेताओं की प्रतिक्रिया
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि घटना की गंभीरता को देखते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पीड़ित परिवारों का दर्द और असमंजस
इस हादसे ने पीड़ित परिवारों को गहरे सदमे में डाल दिया है। जिन बच्चों की मौत हुई, उनके शव परिजनों को सौंप दिए गए हैं। एक बच्चा अभी भी लापता है और उसकी तलाश जारी है। हादसे के बाद अस्पताल प्रशासन की लापरवाही पर परिजनों ने कड़ी नाराजगी जताई है।
अस्पतालों में सुरक्षा पर सवाल
इस घटना ने सरकारी अस्पतालों में आगजनी से निपटने की तैयारियों और सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा उपकरणों और प्रशिक्षण की भारी कमी है।
आगे की राह
झांसी मेडिकल कॉलेज की इस दर्दनाक घटना ने चिकित्सा सुविधाओं की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया है। पीड़ित परिवारों को राहत प्रदान करने और दोषियों को दंडित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस घटना की निष्पक्ष जांच से भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने की दिशा में कदम उठाए जाने की उम्मीद है।