
हरियाणा और पंजाब के बीच वर्षों पुराना पानी विवाद एक बार फिर गरमा गया है। हाल ही में हरियाणा की तरफ से पानी की कमी की शिकायत के बाद यह मुद्दा फिर से चर्चा में आ गया है। दोनों राज्यों के बीच तीखी बयानबाज़ी शुरू हो गई है और केंद्र सरकार व भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) भी अब इसमें सक्रिय हो गया है।
हरियाणा को 8500 क्यूसेक पानी देने का फैसला
BBMB ने हाल ही में एक बड़ा फैसला लेते हुए हरियाणा को भाखड़ा डैम से 8500 क्यूसेक पानी देने की बात कही है। यह फैसला पंजाब सरकार को रास नहीं आया और उन्होंने इसका कड़ा विरोध किया है।
इस मुद्दे पर चंडीगढ़ में एक अहम बैठक हुई, जिसमें हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और सिंधु नदी से जुड़े राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। केंद्र सरकार के प्रतिनिधि भी बैठक में शामिल हुए। मीटिंग में पंजाब के विरोध के बावजूद हरियाणा को ज्यादा पानी देने के पक्ष में वोटिंग हुई। केवल हिमाचल प्रदेश ने इस पर निरपेक्ष रवैया अपनाया।
अफसर का तबादला भी चर्चा में
BBMB ने इस विवाद के बीच एक और बड़ा कदम उठाते हुए वॉटर रेगुलेशन डायरेक्टर आकाशदीप सिंह का तबादला कर दिया है और उनकी जगह संजय कुमार को नियुक्त किया गया है। खास बात यह है कि संजय कुमार का ताल्लुक हरियाणा से है, जिस पर अब सवाल उठने लगे हैं।
पंजाब का विरोध और हरियाणा की मांग
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना है कि 6 मार्च 2025 से पंजाब हर रोज 4000 क्यूसेक अतिरिक्त पानी हरियाणा को दे रहा है। लेकिन अब हरियाणा 8500 क्यूसेक की मांग कर रहा है, जो कि “व्यावहारिक रूप से संभव नहीं” है।
मान ने कहा कि पंजाब खुद पानी की भारी कमी से जूझ रहा है और इस हालत में इतना ज्यादा पानी देना राज्य के लिए नुकसानदायक होगा।
वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने पंजाब सरकार से मानवता के आधार पर दोबारा सोचने की अपील की है। उन्होंने कहा, “पानी किसी एक राज्य की नहीं बल्कि प्रकृति की देन है, और इसे साझा किया जाना चाहिए।” सैनी ने कहा कि पंजाब का पानी रोकने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे हरियाणा के कई जिलों में जल संकट गहरा गया है।
क्या आगे और बढ़ेगा विवाद?
फिलहाल यह साफ है कि यह मुद्दा इतनी जल्दी सुलझने वाला नहीं है। दोनों राज्यों की सरकारें अपने-अपने पक्ष पर अड़ी हुई हैं और केंद्र की भूमिका अब काफी अहम हो गई है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कोई समाधान निकलता है या यह विवाद और गहराता है।